मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा
आंचलिक साहित्यकार परिषद द्वारा कविता-पाठ उच्चारण दोष पर विचार- गोष्ठी
" उच्चारण दोष अक्षम्य कुत्सित भाषाई अवमानना है": अवधेश तिवारी
"उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की खुशबू किसी इत्र में नहीं है": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार , छिंदवाड़ा: आंचलिक साहित्यकार परिषद छिंदवाड़ा द्वारा कविता पाठ में उच्चारण दोष विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में परिषद के अध्यक्ष अवधेश तिवारी ने कहा कि कविता- पाठ में उच्चारण-दोष काव्य के सौंदर्य को आहत करता है। इससे काव्य के उचित संप्रेषण तथा कवि के व्यक्तित्व के पूर्ण प्रभाव-स्थापन में बाधा उत्पन्न होती है। एक उच्चारण दोष को सुधारते ही अन्य अनेक दोष स्वयमेव समाप्त होने लगते हैं। वरिष्ठ कवि रतनाकर रतन ने कहा कि भाषा विसंगतियों में सौंदर्यबोध कराकर उच्च चेतना के विस्तार से समूचे व्यक्तित्व को परिष्कृत करती है। गोष्ठी अध्यक्ष प्रो. अमर सिंह ने कहा कि उच्चारण दोष के गुनहगारों को भाषाई अवमानना की अदालत में खड़ा करना जरूरी है। बेहतरीन अभिव्यक्ति की खुशबू का कोई भी इत्र कभी भी मुकाबला नहीं कर सकता है। विशिष्ट अतिथि एस. आर. शेंडे ने कहा कि उच्चारण दोष भाषा की सांस्कृतिक आत्मा की आवाज को दूषित करता है क्योंकि भाषा मानव अस्मिता का गौरवगान होती है। कवयित्री नीलम पवार ने भाषाई कमजोरी को समस्त विपन्नत्ताओं की जननी, नेमीचंद व्योम ने सही उच्चारण को भाषा का श्रृंगार और के. के. मिश्रा ने भाषा की सृजनात्मक क्षमता को मनुष्यता निर्माण की विचारक धरोहर बताया। लक्ष्मणप्रसाद डहेरिया ने भाषा की अभिव्यक्ति के सभी आयामों के एक साथ प्रयोग से व्यक्ति को अपनी पूर्व की बंधी हदें तोड़ने, विजयानन्द दुबे ने भाषा के साथ अपेक्षित आंगिक संचालन को अभिव्यक्ति से पूर्णता महसूस करने और अंकुर बाल्मीकि ने भाषा को वाद विवादों में फंसी मनुष्यता को मुक्त करने की बात कही। हैदर अली खान ने स्पष्ट उच्चरित अभिव्यक्ति की जादुई शक्ति, नंदकुमार दीक्षित ने शास्त्रों के विशुद्ध अध्येता में शत्रु को निःशस्त्र करने की बिरली क्षमता और अशोक जैन ने स्वयं प्रकृति भाषा के माध्यम से आचरण में उतरती है, कहकर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।ज्योति गुप्ता भाषा की बेशुमार ताकत को भावी राष्ट्र उन्नति की नींव बताया। वरिष्ठ कवि राजेंद्र यादव ने कविता में उच्चारण की महती भूमिका पर प्रकाश डाला। साथ ही मुकेश जगदेव ने सही उच्चारण को कविता की जान कहा। अंबर पाठक ने शुद्ध उच्चारण से भाषा के महत्व को बताया ।परिषद सचिव रामलाल सराठे ने सुविकसित भाषा को सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों को सुलझाने की थाती कहा तो रमेश लोखंडे ने भाषासृजित दृष्टिकोण को समृद्धि का जरिया और मंच संचालिका कवयित्री मोहिता मुकेश कमलेंदु ने भाषा के सुसंस्कृत से सृष्टि में अमन चैन के विस्तार की बात कही।