मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
" भाषाई यांत्रिकता रिश्तों में दरार की जिम्मेदार होती है": प्रो. अमर सिंह
"मातृभाषा मां के आंचल में छिपे बच्चे के सुकून सी होती है ": प्रो. अमर सिंह
"अंग्रेजी के आतंक को हिन्दी की संप्रेषणीयता की मिसाइल से मारें ": प्रो. अमर सिंह
"हिन्दी हिंद की अस्मिता को बरकरार रखने की प्राणवायु है:" गोवर्धन यादव
उग्र प्रभा समाचार,छिन्दवाड़ा: शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय छिन्दवाड़ा में म. प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति छिन्दवाड़ा इकाई द्वारा आयोजित वार्षिकोत्सव एवं प्रतिभा प्रोत्साहन समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन में शासकीय महाविद्यालय चांद के शिक्षाविद प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि भाषा मानवीय संवेदनाओं को पोषित, पल्लवित और पुष्पित करने की संस्कृति की वाहक होती है। इसकी अद्भुत चेतना सामर्थ्य मनुष्यता निर्माण में खपती है, बशर्ते भाषिक शुचिता के धर्म का सम्यक निर्वहन हो। हिन्दी भारत की सकल विश्व में मातृभाषा मां के आंचल में छिपे बच्चे के सुकून सी राहत देती है। मातृभाषा का उद्गम स्थल आत्मा में है। भाषाई यांत्रिकता रिश्तों में बिलगाव की सीधी जिम्मेदार होती है। हिन्दी को पूर्ण रूप से विकसित होने में जितना बड़ा गतिरोध इसके मातृभाषियों ने खड़ा किया और उतना और किसी ने नहीं। अगर अंग्रेजी के प्रभुत्व का आतंक हिन्दी को पनपने के मार्ग में बाधक है तो हिन्दी की संप्रेषणीयता की मिसाइल से इसे ध्वस्त भी तो किया जा सकता है। मुख्य अतिथि सेवानिवृत पर्यवेक्षक वीरेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि आज हिन्दी सकल विश्व में गूगल से अन्तरभाषाई अनुवाद की सुविधा ने वैश्विक संवाद के विकल्प खोल दिए हैं। आज हमारी हिन्दी संपूर्ण विश्व में भारत की ब्रांड एंबेसडर है। हिन्दी भाषा आज के बाजार की जरूरतों के मुताबिक़ वैश्विक स्पर्धा में डिजिटल रूप से व्यावहारिक बने बिना खड़ी नहीं किहो सकती है। जब तक हम अंग्रेजी पढ़ रहे बच्चों के मुंह में हिन्दी की आत्मीयता की मिठास नहीं घोलेंगे, तब तक ये नौनिहाल अपने ही परिवेश के कटे हुए न घर के बचेंगे और न घाट के।समिति संयोजिका श्रीमती शैली यादव ने कहा कि हिन्दी भाषा की अस्मिता को इसकी स्थानीय बोलियों की पर्यावरणीय मिट्टी की सौंधी खुशबू को संरक्षित रखकर ही बचाया जा सकता है। हमें अपनी हिन्दी भाषा साहित्य को मां के शोक से, मातृभूमि की निराशा से और मातृभाषा को बोलने वालों की कुंठाओं से पहले बचाना होगा। समिति के अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार गोवर्धन यादव ने कहा कि हिन्दी हिंद की अस्मिता की हृदय एवं प्राणवायु है। मातृभाषा हिन्दी हमारी समूची उन्नति के केंद्र में है, और हमारे हृदय की समस्त पीड़ाओं के निदान भी इसमें सम्मिलित हैं। समिति के कार्याध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि हम सभी अपनी हिन्दी भाषा की बौद्धिक सामर्थ्य से राष्ट्र के खोए हुए गौरव को प्राप्त कर सकते हैं। जब तक हिंदी के भाल पर बिंदी रहेगी, तब तक कोई भी इसे प्रारब्ध निर्माण के संस्कारों से अलग नहीं किया जा सकता है।
चारों प्रतियोगिताओं के परिणाम इस प्रकार रहे.
सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता-
सुश्री अनुष्का अमरवंशी (आशाराम गुरुकुल) प्रथम
सुश्री अंशिका इंगले- (आशाराम गुरुकुल) द्वितीय
श्री सुरेश भारिया ( जगन्नाथ हायर से,स्कूल) -तृतीय
लोकगीत गायन प्रतियोगिता
श्री राघव पांडॆ ( आशाराम गुरुकुल) -प्रथम
सुश्री श्रेया प्रजापति -( आशाराम गुरुकुल) द्वितीय
श्री प्रवीण काकोडिया-( शास.नवीन जवाहर उच्च.मा.वि) तृतीय
चित्रांकन से शब्दांकन
सुश्री खुशी सावनेरे (आशाराम गुरुकुल) -प्रथम
श्री भानूप्रताप साहू -(आशाराम गुरुकुल) द्वितीय
सुश्री मानसी नौतानी -(आशाराम गुरुकुल) तृतीय
भाषण प्रतियोगिता
श्री नारायन शेंडगे (आशाराम गुरुकुल) - प्रथम
श्री देवश्री सोनारे (आशाराम गुरुकुल) द्वितीय
सुश्री त्रिवेणी विश्वकर्मा-( जगन्नाथ हायर.से.स्कूल) तृतीय.