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अपात्र का ज्ञान धुंधला होकर कृपात्रता विकसित करता है ": प्रो. लक्ष्मीचंद

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        मोहिता जगदेव

   उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में दीक्षारंभ समारोह

"उच्च शिक्षा वृत्ति से भाग्योदय का पथ प्रशस्त होता है": प्रो. विश्वकर्मा 

"शोधपरक अवधारणात्मक ज्ञान जीवन वृत्ति का समाधान है": प्रो. मिश्रा

"खेल विषय की एकाग्रचित निष्ठा से सफलता के पायदान प्रदान करते हैं ": प्रो. पटवा 

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा के अग्रणी कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस छिंदवाड़ा में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग की मंशानुसार प्राचार्य डॉ वाय. के. शर्मा के संरक्षण में कला, विज्ञान व वाणिज्य के नवप्रवेशित विद्यार्थियों के संस्था की खूबियों को केन्द्र में रखकर आयोजित दीक्षारंभ समारोह में मुख्य वक्ता प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता प्रो. डी. डी. विश्वकर्मा ने नवागंतुक छात्रों का स्वागत करते हुए कहा कि छात्र उच्च शिक्षा की शिक्षावृति से भाग्योदय का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। जीवन अंतःकरण से संचालित होता है। मन बुद्धि और चित्त का संयमीकरण ही अनुशासन होता है। हिन्दी भाषा साहित्य के उद्भट विद्वान प्रो. लक्ष्मीचंद ने छात्रों को अपने विभागों की सुविधाओं के पूर्ण दोहन पर बल देते हुए कहा कि छात्रों की पात्रता बुद्धि ग्रहणशील बने और सामयिक सरोकारों के प्रश्नों का समाधान करे क्योंकि ज्ञान धुंधला होकर कुपात्रता को विकसित करता है। अपनी समुन्नत, शोधपरक व अकादमिक उत्कृष्टताओं के राजनीति विज्ञान के प्रो. राजेंद्र कुमार मिश्रा ने सभाकक्ष में उपस्थित जिज्ञासु छात्रों को अभिप्रेरित करते हुए कहा कि अवधारणात्मक ज्ञान जीवन वृत्ति का समाधान है। मन की चंचलता, उत्तेजना और अशांति ज्ञानार्जन में बाधक होती है। अपने छात्रों की खेल गतिविधियों से छिंदवाड़ा का नाम भारत भर में गौरव प्राप्त कराने वाले क्रीड़ाधिकारी प्रो. सुशील कुमार पटवा ने कहा कि खेल छात्रों को उम्दा स्वास्थ्य के अतिरिक्त विषय की एकाग्रता, चित्तबद्धता और इंद्रियनिग्रह शिक्षा के अंतिम पायदान पर स्थापित करते हैं। कैरियर गाइडेंस प्रभारी प्रो. पी. एन. सनेसर ने अपने उद्बोधन को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में अध्ययन कर रहे छात्र अपनी बुद्धि संश्लेषण, विश्लेषण और विवेचन को अपने अधिगम का अभिन्न हिस्सा बनाकर ज्ञानार्जन करेंगे तो बात बनेगी, अन्यथा किसी भी उच्च शिक्षित छात्र का बेरोजगारी का रोना रोना नाकाबिलियत को छिपाने की सबसे कारगर तरकीब है। समारोह संयोजिका प्रो. साधना जैन ने शिक्षक छात्र संबंध को परिभाषित करते हुए कहा कि छात्र अपने चित्त की संस्कारभूमि की मेधा से कैरियर निर्माण की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं क्योंकि शैक्षिक साधना से आत्मतत्व का विकास ही साध्य है। मेजर शेखर ब्रह्मने ने कहा कि छात्र एन.सी. सी. के अनुशासन से छात्र सीखें कि आचार्य शिष्य को यथार्थ से साक्षात्कार करवाता है। आचार्य की निष्ठा से शिष्य की आत्मनिष्ठा का एकीकरण न हो पाना दीक्षा का बेपटरी होना है। रा.से.यो. अधिकारी प्रो. महेंद्र साहू ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना सिखाती है कि शिक्षा सेवावृत्ति विकसित करे अन्यथा अपात्रता बढ़ेगी। बिना श्रद्धा पर टिका जीवन निष्फल रहता है। प्रो. अजय नावरे ने वाणिज्य विषय से यह सीखने को रेखांकित किया कि श्रद्धा बुद्धि का अनुष्ठान है। पुरुषार्थ से भाग्योदय होता है, तत्पश्चात आत्म उत्कर्ष की प्राप्ति होती है। समारोह का संचालन करती हुई प्रो. टीकमणि पटवारी ने छात्रों को उच्च शिक्षा के स्तंभों से सीख लेने पर जोर देते हुए कहा कि चेतनातत्व के जगने से अहंकार बुद्धि समाप्त होती है। तभी सत्य असत्य का विवेकीकरण होता है। हम सब ब्रह्मा की ओर से क्रिया के लिए नियुक्त हैं, अतः क्रियाशीलता बढ़नी चाहिए। चित्त की परमशांति बिना गुरु के संभव नहीं।

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