मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा
चांद कालेज में ललित कलाओं के जादुई प्रभाव पर कार्यशाला
" संगीत जीवन की दुख भरी रात में चांदनी रूपी राहत है": डॉ. मृदुला शर्मा
संगीत में टूटे को जोड़ने की अकूत क्षमता होती है : प्रो लक्ष्मण उइके
उग्र प्रभा समाचार,चाँद छिंदवाड़ा
शासकीय महाविद्यालय चांद में व्यक्तित्व विकास, रेड रिबन और राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग द्वारा संयुक्त रूप से ललित कलाओं के जादुई प्रभाव पर आयोजित कार्यशाला में प्रमुख अतिथि वक्ता बतौर बोलती हुई श्री नारायण संगीत एवं कला महाविद्यालय छिंदवाड़ा की डायरेक्टर व प्राचार्य डॉ. मृदुला शर्मा ने कहा कि ललित कलाएं माधुर्य की भाषा बोलती हैं, सार्वभौमिकता का संदेश देती हैं और इनसे निकले उद्गार हमारे कमजोर नर्वस सिस्टम को सीधे ऊर्जावान बनाती हैं। जहां संगीत का सुकून मानवता का प्याला प्रेम रस से भरता है, वहीं यह बेनाम को नाम देकर न जानने योग्य को अभिव्यक्त कर सकता है। ललित कलाएं ब्रह्मांड वह आत्मीयता है जिससे आत्मा पर जमी धुंध को साफ हो जाती है। संगीत जीवन की दुःख भरी रात में चांदनी रूपी राहत है। प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि जो सुंदर है, काव्यात्मक है उसे संगीत के माध्यम से कहा जा सकता है। संगीत मनुष्यता निर्माण हेतु हृदय के उद्गारों की धारा है, जिसने इंसानियत को हैवानियत से सदियों से बचाया है। संगीत का का जन्म शब्द से पहले हुआ है, अतः इसे किसी नियम में न नहीं बांधा जा सकता है।संगीत में पूरी मानवता की पीड़ा पीने की क्षमता है।
प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि संगीत प्रेम के शब्दों की वह खोज है, जो कल्पना को उड़ान देती है और चीजों को जीवंत, आत्मीय और सहृदयी बनाती है। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि ललित कलाएं समझ को परिष्कृत करती हैं, और काया का शुद्धीकरण करती हैं। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि जंगली आवाज को समय व स्वर की सभ्यता में बांधना ही संगीत होता है। यह उन घावों को भर देता है जो औषधि से नहीं भर पाते हैं। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि जहां शब्द असफल हो जाते हैं, वहां संगीत बढ़ चढ़ कर बोलता है। जहां शब्द मैदान छोड़ जाते हैं, वहां संगीत मैदान जीत लेता है। प्रो. सकर लाल बट्टी ने कहा कि संगीत में दर्द जनित व्यवधानों से निजात पाने की जादुई शक्ति होती है। प्रो. लक्ष्मण उइके ने कहा कि साहित्य संगीत पूर्व में बहे आंसुओं के बेहद करीब होता है। संगीत में टूटे को जोड़ने की अकूत क्षमता होती है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि संगीत अकेला सत्य है, यह क्षण में रंग भरता है। संगीतकार मानवता की भाषा बोलता है। समारोह में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त कन्हैया सोनी, अर्शिल कुरैशी और प्रिया रघुवंशी को महाविद्यालय परिवार की ओर से मुख्य अतिथि के हस्ते सम्मानित किया गया।।