मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"शोध निर्देशक शोध में उच्च नैतिक मानदंड स्थापित करें": प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी कुलगुरू
" शोध प्रक्रिया को पारदर्शी बनाकर शोधार्थी के हितों पर फोकस किया जाएगा": प्रो . धनाराम
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा में हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत के शोध निर्देशकों को शोध कराने हेतु वांक्षित कार्यप्रणाली के बारे संबोधित करते हुए कुलगुरू प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि सभी शोध निर्देशक अपने शोधार्थियों के साथ व्यवहार में नैतिकता के सर्वोच्च मानदंड स्थापित करें ताकि उन्हें शोध को मानक स्तर पर तैयार करने में किसी अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े। सभी शोध निर्देशक शोधार्थियों के साथ निष्पक्ष, अनासक्त और सहानुभूति रखते हुए श्रेष्ठ शैक्षिक अवदान देने के भाव से अपने योगदान को अविस्मरणीय बनाने का कार्य करेंगे। परीक्षा नियंत्रक व शोध कॉर्डिनेटर प्रो. धनाराम ने कहा कि सभी शोध निर्देशकों द्वारा शोध के दौरान सही गई अनावश्यक पीड़ाओं से बचने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे ताकि शोध डिग्री अवार्ड होने में देरी से शोधार्थी के कैरियर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
शोध प्रणाली को प्रदूषित न होने देने के सभी उपाय किए जाएंगे": अंजली चौहान
" गुरू की प्रतिभा सीधे शिष्य में समा जाती है ": प्रो. लक्ष्मीचंद
" शोध पीड़ाओं के समंदर पीने के धैर्य की परीक्षा है": प्रो. अमर सिंह
सहायक कुलसचिव अकादमिक सुश्री अंजली चौहान ने बताया कि शोध कार्यप्रणाली में किसी भी प्रदूषित प्रवृत्ति को हावी नहीं होने दिया जाएगा। प्रो. लक्ष्मीचंद ने कहा कि शोध निर्देशक की शोध प्रतिभा सीधे सीधे शोधार्थी में हस्तांतरित होती है, जस गुरू तस शिष्य बनता है। प्रो. अमर सिंह ने कहा कि शोध करना विभिन्न प्रकार की पीड़ाओं से गुजरना पड़ता है। असहनशील शोधार्थी को शोध बीच में ही छोड़ना पड़ता है। प्रशिक्षण में बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों के शोध निर्देशकों ने अपने अनुभवों को बांटकर अपनी अमूल्य सहभागिता दी।