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राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय में शोध पद्धति पर राष्ट्रीय सेमिनार

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           मोहिता जगदेव

    उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

"शोध कार्यप्रणाली में अंतर्विषयक दृष्टिकोण  मानवीय जटिलताओं का हल है ": कुलगुरू प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी 

"वेदना से दृष्टि मिलती है और सहनकर्ता दृष्टा हो जाता है": प्रो. ए. पी. मिश्रा 

"शोध व्यक्तिगत सौंदर्य वृद्धि का नहीं, लोकहित का साधन है": प्रो. वीणापाणि दुबे 

" डिजिटल तकनीक से शोध सामग्री के एकत्रीकरण में वक्त नहीं लगता है ": प्रो. अनुज हुंडैत 

 उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा द्वारा शोध कार्यप्रणाली में अंतर्विषयक दृष्टिकोण विषय पर पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के सभागृह में आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कुलगुरू प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि मानव जीवन में आ रही नित नई जटिलताओं का स्थाई हल शोध कार्यप्रणाली में अंतर्विषयक दृष्टिकोण से ही संभव है। सतही ज्ञान अंततः खतरनाक ही साबित होता है।प्रमुख स्त्रोत वक्ता डॉ. हरी सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के रसायन विज्ञान के प्रो. ए. पी. मिश्रा ने कहा कि वेदना दृष्टि देती है, इसका सहनकर्ता दृष्टा हो जाता है। शोध दृष्टि बदलती है। शोध का केंद्रीय उद्देश्य व्यष्टि से समष्टि की यात्रा है। कम से कम में से अधिक से अधिक जान लेना और अधिक से अधिक में से काम का कम से कम निकाल लेना ही शोध है। सी. एम. दुबे पी. जी. कॉलेज बिलासपुर की वनस्पति विधान की भूतपूर्व प्रो. वीणापाणि दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि शोध व्यक्तिगत सौंदर्य वृद्धि का साधन नहीं है, यह वीनैतिक सत्यनिष्ठा, बौद्धिक शुचिता और ज्ञान के व्यापकीकरण का हुनर है। शोधकर्ता को हितों के टकराव से बचना चाहिए। इंटीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस ऑफ हायर एजुकेशन भोपाल के भौतिक शास्त्र के प्रो. अनुज हुंडैत ने डिजिटल युग में इलेक्ट्रॉनिक्स के अति आधुनिक टूल्स से शोध सामग्री को एकत्रित करके अपने कीमती समय की बचत करने पर जोर दिया। प्रो. राजेंद्र कुमार मिश्रा ने अपने अनौपचारिक वक्तव्य में प्रामाणिक शोध को सशक्त राष्ट्र निर्माण का जरिया बताया।


प्रो. अमर सिंह ने रिसर्च स्कॉलर्स को शोध के माध्यम से स्वयं के पिछड़ेपन को दूर करने की तरकीब पर प्रकाश डाला। कुलसचिव प्रो. युवराज पाटिल ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा का भरसक प्रयास रहा है कि रिसर्च स्कॉलर्स को शोध करने में आने वाली सभी चुनौतियों से जूझने के लिए पहले ही मानसिक रूप से तैयार रहने के लिए पर्याप्त ज्ञान प्रशिक्षित रिसोर्स पर्सन द्वारा दे दिया गया है। परीक्षा नियंत्रक, शोध सेमीनार संयोजक व शोध कॉर्डिनेटर प्रो. धनाराम ने अपने वक्तव्य में कहा कि शोधकर्ता को आज सामाजिक सरोकारों के प्रश्नों के समाधान हेतु शोध कार्यप्रणाली में अंतर्विषयक दृष्टिकोण अपनाने की महती आवश्यकता है क्योंकि किसी भी चीज का दूसरी चीजों से संबंध बिना कतई कारगर नहीं है। राष्ट्रीय सेमिनार में विशेष सहयोग देने वालों में पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के प्राचार्य प्रो. वाय. के. शर्मा, आईटी की प्रमुख प्रो. निशा जैन, सहायक कुलसचिव अंजलि चौहान, दशरथ सिंह गौड़ एवं समस्त विश्वविद्यालय परिवार का विशेष सहयोग रहा।

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