शिक्षा की दुरावस्था के लिए जिम्मेदार कौन शिक्षा के अधिकार का खुला उल्लंघन - एस आर सेंडे
सरकार की अदूरदर्शिता से हजारों सरकारी स्कूल बन्द
सौसर//उग्र प्रभा
सिविल राइट्स प्रोटेक्शन सेल मध्यप्रदेश के सेक्रेटरी राष्ट्रपति से सम्मानित मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष एस.आर.शेंडे ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि,भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 - ए तथा संसद द्वारा पारित शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान " राइट टू एजुकेशन " किया गया है। जिसके अनुसार बच्चों को कक्षा 8 वी तक मुफ्त ,अनिवार्य व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी। यह अधिनियम शासकीय एवं अशासकीय सभी संस्थाओं को समान रूप से लागू होता है। दुर्भाग्य से शासकीय शालाओं में इसका पालन किया जाता है परंतु प्राइवेट संस्थाओं में बिलकुल नहीं। वहाँ नर्सरी से लेकर आठवी तक के बच्चों से प्रति वर्ष एडमिशन,नई किताबें,नये ड्रेस, विकास,विभिन्न मदों के नाम पर पालकों से अनाप शनाप राशि वसूली जाती है।दूसरी ओर शासकीय स्कूलों में मुफ्त किताबें,स्कॉलरशिप,ड्रेस,मध्यान्ह भोजन,सायकिल देने के बावजूद संसाधन विहीन जर्जर शाला भवन,शिक्षकों का अभाव,शिक्षकों को अध्यापन से ज्यादा अन्य कार्यो में लगाने के कारण पालकों का शासकीय शालाओं से मोहभंग हो गया है। इस कारण गरीब मध्यम वर्गों के बच्चों का पढना दूभर हो गया है। सरकार की उदासीनता एवं शिक्षा का निजीकरण की ओर बढता कदम पालकों व विद्यार्थियों को घातक साबीत हो रहा है। यह दुरावस्था पूरे देश मे प्राथमिक से लेकर महाविद्यालयीन और चिकित्सा शिक्षा तक फैली हैं। सरकार की अदूरदर्शिता के चलते भारत भर में हजारों शासकीय शालाएँ बंद हो चुकी है। आश्चर्य होता है कि,चंद वर्षो में प्राइवेट स्कूल बिल्डिंग बहुमंजिला बन जाती है और सरकारी विद्यालय खंडहरनुमा नजर आते हैं।श्री शेंडे ने महामहिम राष्ट्रपति जी,प्रधानमंत्री जी को पत्र प्रेषित कर प्राइवेट संस्थाओं को भी संविधान में दिए गए प्रावधानों के अनुरूप 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाने हेतु सभी राज्यों को कडाई से अनुपालन कराने के निर्देश देने का अनुरोध किया है। साथ ही सरकारी शालाओं में पूर्ण रूपेण शिक्षकों की भर्ती, संसाधनों से सुसज्जित कराने का निवेदन किया है।