वन नेशन वन इलेक्शन: एक साथ चुनाव करवाने वाले विधेयक की कहानी वन नेशन, वन इलेक्शन
इमेज स्रोत,ANI इमेज कैप्शन,पिछले मार्च में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर रिपोर्ट सौंपी थी.
17 दिसंबर 2024
* सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' या 'एक देश, एक चुनाव' से जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है.
*12 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी.
इसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की सोच को आगे बढ़ाने के लिए ये क़दम उठाया गया है.बता दें कि संविधान संशोधन विधेयक पास करने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की ज़रूरत होगी, जबकि दूसरे विधेयक को सामान्य बहुमत से ही पास किया जा सकता है.इस लेख में जानते हैं कि अब तक 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर क्या-क्या हुआ है और इसे लेकर क्या विवाद रहे हैं.
एक देश एक चुनाव से होगा चुनाव सुधार
केंद्र सरकार लंबे समय से यह दावा करती आ रही है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा क़दम है.इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए, सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की संभावनाएं तलाशने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया.
इस समिति ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
समिति में शामिल प्रमुख सदस्यों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और चीफ़ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी थे.इसके अलावा, विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में क़ानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. नितेन चंद्र भी समिति का हिस्सा थे.191 दिनों की रिसर्च के बाद इस समिति ने 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की. सितंबर 2024 में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफ़ारिशों को मंजूरी दी.इसके बाद 12 दिसंबर को 'वन नेशन, वन इलेक्शन' से जुड़े विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दे दी है, जो इसे क़ानून बनाने की दिशा में कदम है.
सिफ़ारिशें क्या है?
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति का कहना है कि सभी पक्षों, जानकारों और शोधकर्ताओं से बातचीत के बाद ये रिपोर्ट तैयार की गई है.रिपोर्ट के मुताबिक, 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार समिति के साथ साझा किए, जिनमें से 32 दल 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के समर्थन में थे.रिपोर्ट में कहा गया, "15 दलों को छोड़कर बाकी 32 दलों ने साथ-साथ चुनाव कराने का समर्थन किया और कहा कि ये तरीका संसाधनों की बचत, सामाजिक तालमेल बनाए रखने और आर्थिक विकास को तेज़ी देने में मदद करेगा।
पहली बार 1951 में एक साथ हुए थे चुनाव
1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे: उस वक्त लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाते थे.
1999 में विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट: इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि हर पांच साल में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
2015 में संसदीय समिति की 79वीं रिपोर्ट: इस रिपोर्ट में चुनाव एक साथ कराने के लिए इसे दो चरणों में करने का तरीका बताया गया.
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति: इस समिति ने राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों सहित कई लोगों से चर्चा और सुझाव लिए.
चुनावों पर व्यापक समर्थन: बातचीत और फीडबैक से यह पता चला कि देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर काफ़ी समर्थन है.
*समिति की तरफ़ से दिए गए सुझाव*
दो चरणों में लागू करना: चुनाव कराने की योजना दो चरणों में लागू हो.
पहला चरण: लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं.
दूसरा चरण: आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर पंचायत और नगर पालिका जैसे स्थानीय चुनाव कराए जाएं.
समान मतदाता सूची: सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची का इस्तेमाल हो.
विस्तृत चर्चा: इस मुद्दे पर देशभर में खुलकर चर्चा हो.
समूह का गठन: चुनाव प्रणाली में बदलाव को लागू करने के लिए एक ख़ास टीम बनाई जाए.