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महिलाओं के अधिकारों के दुरुपयोग और पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर की गहन चर्चा

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      मोहिता जगदेव

 उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

 एसआईएफ ने मनाया पुरुष दिवस

महिलाओं के अधिकारों के दुरुपयोग और पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर की गहन चर्चा

महिलाओं के अधिकारों के दुरुपयोग से समाज में असंतुलन पैदा हो रहा है: मीरा एंथोनी

हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं, हमें निष्पक्षता के साथ दोनों पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए : श्रीपाद विष्णु निरगुणकर

मानसिक तनाव कम करने और समाधान तलाशने के लिए संवाद को अहम है : डाॅ संदीप बर्दे


उग्र प्रभा समाचार,बैतूल: एसआईएफ द्वारा निजी होटल में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य और महिलाओं के अधिकारों के दुरुपयोग के बढ़ते मामलों पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे समाजसेवी मीरा एंथोनी के वक्तव्य से हुई, जिसमें उन्होंने दोनों पक्षों को समझने और समाज में संतुलन बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, महिलाओं के अधिकारों के दुरुपयोग से समाज में असंतुलन पैदा हो रहा है।श्रीपाद विष्णु निरगुडकर ने कहा हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं। हमें निष्पक्षता के साथ दोनों पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। डॉ. रश्मि बर्दे, होम्योपैथिक चिकित्सक और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट ने पुरुषों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने पर जोर दिया। उन्होंने मानसिक तनाव कम करने और समाधान तलाशने के लिए संवाद को अहम बताया।डॉ. संदीप बर्दे ने झूठे मामलों के कारण पुरुषों पर होने वाले मानसिक और शारीरिक प्रभावों को रेखांकित किया। उन्होंने सकारात्मक सोच और परिवार के सहयोग को समाधान के लिए महत्वपूर्ण बताया।

एसआईएफ के संस्थापक डॉ. संदीप गोहे ने संगठन की गतिविधियों का विवरण देते हुए कहा कि यह एनजीओ पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए सतत प्रयासरत है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भारती गोहे ने किया। प्रमुख सदस्य चंद्रप्रकाश झरे, विजय साहू, रुपेश पवार, संचित सोनी, अजय वरवड़े, राजेश उपराले और राकेश साबले ने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। उमेश फरकाडे और अन्य केस स्टडीज ने झूठे मामलों के कारण उत्पन्न मानसिक और पारिवारिक तनाव को उजागर किया। सभी ने सरकार से पुरुष आयोग के गठन और न्यायिक प्रक्रिया को संतुलित करने की मांग की।

इन प्रकरणों पर हुई चर्चा

कार्यक्रम में उमेश फरकाडे अपनी माता जी के साथ एसआईएफ के आयोजन में पहुंचे और बताया कि पिछले कोर्ट की तारीख पर उनकी पत्नी और सास के बीच मारपीट हो गई थी जिसका उल्लेख स्थानीय अखबारों में भी हुआ था। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में ऐसा माहौल नहीं होना चाहिए जो तनाव और मानसिक दबाव बढ़ाए। वहीं दूसरे मामले में एक वृद्ध दंपत्ति ने अपनी बहू द्वारा लगाए गए झूठे केस के कारण अपनी परेशानी साझा की। उन्होंने बताया कि उनका बेटा डिप्रेशन में है और अकेले रहता है क्योंकि वह नौकरी में व्यस्त है। माता-पिता ने कहा, हमें दिन-रात उसकी चिंता रहती है और उसकी मानसिक स्थिति के कारण हम बहुत परेशान हैं। दोनों ही मामलों ने झूठे आरोपों के कारण होने वाले मानसिक तनाव और परिवारों पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव को उजागर किया।


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