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चांद कालेज में "गुरू खुद्दारी को तराश खुदा बनाए" के थीम पर आयोजित हुआ शिक्षक दिवस समारोह

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        मोहिता जगदेव

  उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

" गुरू बौद्घिक बौने नहीं, मेधा आलोकित छात्र सृजित करें:" प्रो. अमर सिंह 

"गुरू शिष्य की खुद्दारी को तराश खुदा हो जाने की आस्था देता है ": प्रो. अमर सिंह 

"वक्त के पैकेज के मुताबिक तैयार गुरू सर्वत्र सम्मानित होते हैं": प्रो. अमर सिंह 

गुरू कभी मित्र, कभी दार्शनिक तो कभी मार्गदर्शक बनने का किरदार निभाता है'': प्रो.संतोष उसरेठे


उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में व्यक्तित्व विकास विभाग द्वारा "खुद्दारी को तराश शिष्य को खुदा बनाए" थीम पर आयोजित शिक्षक दिवस समारोह में प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि गुरू बौद्घिक बौने नहीं मेधा आलोकित छात्र पैदा करें। बदले वक्त के पैकेज में न ढलने वाले शिक्षक अपने छात्रों द्वारा नकार दिए जाते हैं। मेधावी छात्र वही होता है जो अभावों में भी बुलंदियों के अंबार लगा दे। हमारी जंग दुनिया से नहीं, खुद से है, यह हमें हमारे शिक्षक सिखाते हैं। गुरू छात्र की खुद्दारी को सतत तराशकर खुदा बनने की आस्था प्रदान करता है। सही गुरू वह सिखाता है जो किताबों में लिखा ही नहीं है। गुरू ववो राह दिखाता है, जब सब राहें बंद हो जाती हैं और वह आग लगाता है जिसमें सारे द्वेष भस्म हो जाते हैं। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि गुरू इंसानियत के पाठ में मनुष्यता उकेर कर उत्कृष्टता के रंग भरता है, हादसों से जीवन चुराता है और ठोकरों में चलना सिखाता है।


प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि गुरू पीड़ाओं के समंदर को पीकर शंकर बनने की युक्ति बताता है। सच्चा गुरू उपकरणों की विलासिता के श्राप से बचाता है, जीवन को श्रद्धा पर टिकाता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि गुरू जड़ता समाप्त कर सेवा वृत्ति विकसित करता है, पुरुषार्थ से आत्मोत्कर्ष जगाता है और सूचनाओं को मेधा में बदलता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि गुरू अपने शिष्य में पात्रता वृद्धि के उच्च मानदंड स्थापित कर उज्जवल भविष्य की नींव रखता है। प्रो. संतोष उसरेठे ने कहा कि गुरू कभी मित्र, कभी दार्शनिक तो कभी मार्गदर्शक बनने का किरदार निभाता है और कब एक से दूसरे किरदार में आ जाए, पता ही नहीं लगता है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि गुरू निष्ठाओं का केंद्र है, पुराणों का सार है और ब्रह्मांड की हर हल चल का अवलोकन कर्ता है। चंचलेश जरोले ने कहा कि गुरु रीति, नीति व प्रीति के सांस्कृतिक मूल्यों का वाहक है। अर्शिल कुरैशी ने कहा कि गुरु सम्पूर्ण मानवजाति को कीचड़ में धसने से बचने के लिए आगाह करता है।

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