मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
विश्वगीता प्रतिष्ठान छिंदवाड़ा के मंच पर व्याख्यान आयोजित
"गीता चेतना के सर्वोच्च शिखर से सामर्थ्य प्राप्ति का मंत्र है ": प्रो. अमर जी
"कुछ भी संयोग नहीं है, सब पूर्व संपादित कर्मों का फल है ": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: विश्वगीता प्रतिष्ठान उज्जयिनी की छिंदवाड़ा शाखा द्वारा बबन पटेल कालोनी नरसिंहपुर रोड स्थिति पूर्व बैंक अधिकारी कश्मीरीलाल बत्रा व कीर्ति बत्रा द्वारा स्व. प्रतापसिंह सैनी की स्मृति में आयोजित गीता पर व्याख्यान में प्रमुख प्रेरक वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा कि गीता दर्शन प्रारब्ध निर्माण हेतु पुरुषार्थ से चेतना के सर्वोच्च शिखर पर स्वयं को स्थापित करना पड़ता है। कुछ भी संयोगवश नहीं है, सबकुछ विगत के संपादित कार्यों का प्रतिफल होता है। किरदार की खुशबू स्थाई होती है। अर्जुन रूपी सभी मनुष्यों को जीवन संग्राम में एक केशव की जरूरत होती है। बिना कर्म के न कोई खुशी मिलती है और न सही मायने की आजादी। केंद्रीय मार्गदर्शक नेमीचन्द्र व्योम ने कहा कि अवसर सब जगह होते हैं, बस कार्मिक निष्ठा से उन्हें अपने हक में करना पड़ता है। अजय सिंह वर्मा ने कहा कि सारगर्भित संवाद सामर्थ्यवान बनाता है। अनूपचंद्र त्रिपाठी ने कहा कि जीवन में बिना संतुलन साधे अस्तित्व की खूबसूरती और भव्यता खो जाती है। मंजिल समर्पण मांगती है, बहानेबाजी नहीं। कश्मीरीलाल बत्रा ने कहा कि इंसानी क्षमताएं असीम हैं, बस उन्हें संकल्प से चमत्कारिक बनाना पड़ता है। हर अद्भुत काम को उपहास, विरोध और स्वीकृति के दौर से गुजरना पड़ता है। नंद कुमार दीक्षित ने कहा कि गीता जीवन के गूढ़ विषयों को संवाद कौशल से अभिव्यक्त करती है। नरेंद्र सिंह वर्मा ने कहा कि जीवन में कोई उलझन नहीं है, सब अंतर्द्वंद्व अपारदर्शी सोच के दुष्परिणाम होते हैं। रमेश मिगलानी ने कहा कि समस्त मानवीय दुःख स्वयं पर कमजोर चिंतन के फलस्वरूप थोपी गई अनावश्यक दबाव होते हैं।