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परिणाम से पहले मानसिक शांति और सही निर्णय जरूरी: डॉ संदीप गोहे*

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           मोहिता जगदेव

     उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

परिणाम से पहले मानसिक शांति और सही निर्णय जरूरी: डॉ संदीप गोहे*

यह समय निराशा में डूबने का नहीं आत्ममंथन, धैर्य और भविष्य की योजना तैयार करने का है:डाॅ संदीप गोहे 

उग्र प्रभा समाचार, बैतूल : नीट परीक्षा 2025 का आयोजन संपन्न हो चुका है और अब लाखों छात्र-छात्राएं परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा नीट 2025 का परिणाम 14 जून को घोषित किया जाना है। इस बीच का समय छात्रों के लिए मानसिक रूप से अत्यंत संवेदनशील होता है। मनोवैज्ञानिक और करियर काउंसलर डॉ संदीप गोहे का कहना है कि यह समय निराशा में डूबने का नहीं आत्ममंथन, धैर्य और भविष्य की योजना तैयार करने का है।

परीक्षा के बाद अक्सर छात्र अपने प्रदर्शन को लेकर बार-बार सोचते रहते हैं, जिससे मन में चिंता और अस्थिरता पैदा होती है। डॉ गोहे का मानना है कि इस समय छात्रों को सबसे पहले अपने प्रयासों पर भरोसा रखना चाहिए। यह समझना जरूरी है कि एक परीक्षा ही जीवन का निर्धारण नहीं करती। परिणाम कैसा भी हो, आगे रास्ते हमेशा खुले रहते हैं।

परिणाम की प्रतीक्षा करते समय सोशल मीडिया से दूरी बनाना भी बेहद जरूरी है। इस माध्यम पर अनेक प्रकार की असत्य जानकारी और अफवाहें फैलती हैं, जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। बेहतर होगा कि छात्र विश्वसनीय स्रोतों से ही जानकारी लें और समय का उपयोग भविष्य की दिशा तय करने में करें। मेडिकल क्षेत्र में नीट के अलावा बीएससी नर्सिंग, फार्मेसी और पैरा मेडिकल जैसे कई विकल्प मौजूद हैं, जिन पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है।

डॉ गोहे का यह भी कहना है कि इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना अत्यंत जरूरी है। ध्यान, योग, संगीत या कोई रचनात्मक गतिविधि तनाव को कम करने में सहायक हो सकती है। यदि मन में अत्यधिक बेचैनी, घबराहट या निराशा महसूस हो रही हो, तो मनोचिकित्सक से परामर्श लेने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

माता-पिता की भूमिका इस समय सबसे अहम हो जाती है। कई बार अभिभावक अनजाने में बच्चों पर अत्यधिक दबाव बना देते हैं या उनकी तुलना अन्य बच्चों से करने लगते हैं। इससे बच्चे और अधिक तनाव में आ जाते हैं। डॉ गोहे कहते हैं कि माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को समझें, उनके साथ संवाद करें, उन्हें विश्वास दिलाएं कि वे किसी भी परिस्थिति में उनके साथ हैं। कोई भी परिणाम रिश्तों से बड़ा नहीं होता।

डॉ गोहे का स्पष्ट संदेश है कि बच्चों को समर्थन और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। परिणाम चाहे जैसा भी हो, उसे स्वीकार करते हुए आगे की योजना बनाना ही समझदारी है। जीवन में कई मोड़ आते हैं और हर मोड़ पर नए अवसर छिपे होते हैं। जरूरत है उन्हें समझने और सही दिशा में आगे बढ़ने की।

यदि कोई छात्र परीक्षा के बाद मानसिक दबाव, अवसाद या निराशा का अनुभव कर रहा है, तो भारत सरकार द्वारा शुरू की गई टेली-मानस हेल्पलाइन से निःशुल्क सहायता प्राप्त की जा सकती है। यह सेवा चौबीसों घंटे उपलब्ध है और प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। टोल फ्री नंबर 14416 या 1800-891-4416 पर संपर्क किया जा सकता है।

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