मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
भगवती सरस्वती की जयंती पर गीता पाठ
"सच्चा ज्ञान अहम को खत्म कर शून्यता का अहसास है ": प्रो.अमर सिंह
" आत्मा व अंधकार का रिश्ता सूरज व अंधेरे जैसा है": प्रो. अमर सिंह
''गीता से वही लोग प्रेम करेंगे, जिन्हें ऊंचाइयों से प्रेम है: कश्मीरी लाल बत्रा
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: विश्वगीता प्रतिठानम उज्जयिनी की छिंदवाड़ा शाखा द्वारा खजरी रोड शिक्षक कालोनी शिव मंदिर में शिक्षिका श्रीमती ममता चौकसे के सहयोग से भगवती सरस्वती की जयंती पर आयोजित गीता पाठ में प्रमुख वक्ता प्रो अमर सिंह ने कहा कि गीता दर्शन के अनुसार हमारा अस्तित्व शून्य है। सच्चा ज्ञान अहम को खत्म कर शून्यता का अहसास कराता है। आत्मवृत्ति में डूबा हुआ मनुष्य स्वयं को नहीं पहचान सकता है। अहंकार का निर्माण अचेतन में होता है, नहीं पता है, इसीलिए यह निर्मित हो जाता है। उलझनें तब सुलझती हैं, जब बंधनों का सच सामने आता है और तभी अज्ञान की धूल साफ होती है। धर्म कामनाएं पूरी नहीं करता है, वह पूर्णता प्राप्त करता है। आत्मा और अहंकार का रिश्ता ठीक वैसे ही है, जैसे सूरज और अंधकार का। अनूप चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि कर्म नहीं, कर्म के केंद्र को जानना है। जीवन को इच्छाओं और वृत्तियों के पार जाकर जानने की जरूरत है। नरेंद्र सिंह वर्मा ने कहा कि आंतरिक सफाई से ही बाहर की सफाई हो सकती है। आध्यात्म का अर्थ आत्मज्ञान है। कर्म की विधि कर्म की नहीं है, कर्ता के बारे में है। कश्मीरी लाल बत्रा ने कहा कि गीता हमारी सभी गलत धारणाओं को स्पष्ट करती है। गीता से वही लोग प्रेम करेंगे, जिन्हें ऊंचाइयों से प्रेम है। हम सब अपने ही शिकार बने फिर रहे हैं, हमें हमसे बचाओ। अजय सिंह वर्मा ने कहा कि छोटे अभिनय बंद करो, हम परमानंद गति में ब्रह्मांड में हैं। आत्मज्ञान नशा उतारने की सबसे कारगर विधि है।आत्मज्ञान का अर्थ पूर्ण रूप से उपस्थित होना है। श्रीमती शशि प्रभा अग्रवाल ने कहा कि आत्मज्ञान के आलोक में स्वस्फूर्त स्वस्फूर्त व्यक्ति के सारे रास्ते प्रकट हो जाते हैं। आत्मज्ञान में कही हर बात श्लोक बन जाती है। नंद कुमार दीक्षित ने कहा कि जब अपना ही अता पता न हो तो अपना किया हुआ ही काम नहीं आता है। निरपत सिंह वर्मा ने कहा कि प्रतिबन्धक नैतिकता लोकधर्म का लक्षण होती है। लोभ, मोह, ममता, काम और लालच , ये मनुष्य की बर्बादी के प्रमुख कारण है। निर्मलाचार्य जी ने कहा कि खुद को तोड़ना अपनी भावना के विरुद्ध जाने का संकल्प है। भावना मन के निहायत अंधियारे तहखानों से आती है। कार्यक्रम में डॉ. संजय, एम. एस. राठौर, गोपीचन्द्र राय, अनुराधा ठाकुर, अनुष्का भारद्वाज वी. साहू और संजय चौकसे की गरिमामय उपस्थित रही।