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जगह के लिए दर-दर भटकते रंगकर्मी

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      मोहिता जगदेव

  उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

जगह के लिए दर-दर भटकते रंगकर्मी

उग्र प्रभा समाचार छिंदवाड़ा : छिंदवाड़ा जिले का रंगकर्म पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखता है। विगत 25 वर्षां से नाट्यगंगा संस्था ने अपने निरंतर प्रयासां से छिंदवाड़ा के रंगकर्म को नई उचाईयां दी हैं। यह नाट्यगंगा के प्रयासों का परिणाम है कि संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा नाट्यगंगा को रंगमंडल की उपाधि दी। यह गौरव छिंदवाड़ा के आस पास के किसी जिले की संस्था को प्राप्त नहीं है। परंतु इतनी उपलब्धियों के बाद भी छिंदवाड़ा में नाट्यगंगा के कलाकारों को अपने कार्यक्रमों को करने के लिए स्थान ढूंढने के लिए हर बार बहुत परिश्रम करना पड़ता है और दर-दर भटकना पड़ता है। विदित हो कि नाट्यगंगा संस्था छिंदवाड़ा जिले में रंगकर्म के प्रदर्शन, प्रशिक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए निस्वार्थ भाव से काम करती है। प्रतिवर्ष संस्था के द्वारा नए कलाकारां को अभिनय में प्रशिक्षित करने के लिए 45 दिवसीय अभिनय कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। लेकिन इस कार्यशाला को आयोजित करने के लिए स्थान ढूँढने के लिए संस्था को बहुत परिश्रम करना पड़ता है। इस वर्ष भी इस कार्यशाला में शामिल होने के लिए 154 प्रतिभागियों ने ऑडिशन दिए जिनमें से 50 चयनित प्रतिभागियों के साथ कार्यशाला प्रारंभ की गई। संस्था अध्यक्ष सचिन वर्मा ने बताया कि विगत कुछ वर्षां से हम लोग हिन्दी प्रचारिणी समिति के प्रांगण में यह कार्यशाला आयोजित कर रहे थे लेकिन इस वर्ष वहां पर निर्माण कार्य प्रारंभ होने के कारण वह स्थान नहीं मिल पाया ।

हमने अन्य दूसरी जगहों की तलाश की और बहुत परिश्रम के बाद एमएलबी स्कूल प्रबंधन ने हमारी समस्या को समझा और महापौर विक्रम अहके जी के सहयोग से हमें एमएलबी स्कूल का प्रांगण कार्यशाला के लिए उपलब्ध हो पाया। लेकिन कल हमें सूचना मिली कि वहां पर कोई परीक्षा प्रारंभ हो गई है तो कल से हमें कोई दूसरी जगह ढूंढनी होगी। अब स्थान के अभाव में इस कार्यशाला के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। नाट्यगंगा की इन कार्यशालाओं से प्रशिक्षित कई कलाकार रंगमंच के साथ फिल्मों, टीवी और वेबसीरीज में अपनी कला की छाप छोड़ रहे हैं और छिंदवाड़ा का नाम रोशन कर रहे हैं। संस्था का मानना है कि यदि छिंदवाड़ा में एक सर्वसुविधायुक्त ऑडिटोरियम होता तो हमें ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। नाट्यगंगा के अतिरिक्त छिंदवाड़ा में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो शहर में साहित्य, संगीत, नृत्य आदि के कार्यक्रम आयोजित करती है और इन सभी संस्थाओं को ऑडिटोरियम के अभाव में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए परेशान होना पड़ता है। 

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