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विजेता अपमान की अग्नि में पसीने का घी डालते हैं ": प्रो.अमर सिंह

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          मोहिता जगदेव

    उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

चांद कालेज के विजेता छात्रों को प्रमाणपत्र और प्रतीक चिन्ह वितरित 

"शांत समुद्र में कुशल नाविक नहीं बन सकता है": प्रो. अमर सिंह 

"बिना संघर्षों के तूफान के विजेता नहीं बनता है ": प्रो. अमर सिंह 

सपनों की चिनगारी बुझी तो समझो आदमी जीते जी मर जाता है: प्रो रजनी कवरेती

 समय मनुष्य द्वारा खर्च किए जाने वाली सभी चीजों में सर्वाधिक मूल्यवान है: विशाल चौरसिया

उग्र प्रभा समाचार, चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद की रेड रिबन क्लब द्वारा गत वर्ष विभिन्न स्पर्धाओं में विजेता छात्रों को जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रमाण पत्र और प्रतीक चिन्ह वितरित किए गए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कालेज जनभागीदारी अध्यक्ष प्रफुल्ल ताम्रकार ने विजेता छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि प्रतिभावान छात्र रातों की नींद को दांव पर लगाकर कुछ ऐसा कर दिखाते हैं जो दूसरों के लिए मिसाल बनता है। शुभांक विश्वकर्मा ने कहा कि वक्त रूपी धन सबको मुफ्त में मिला है, विजेता वक्त के सदुपयोग की कीमत करते हैं। नोबल प्रजापति ने कहा कि इतना कोई बलवान नहीं है, जो बीते कल को लौटा सके। विशाल चौरसिया ने कहा कि समय मनुष्य द्वारा खर्च किए जाने वाली सभी चीजों में सर्वाधिक मूल्यवान है। प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि जैसे शांत समुद्र में कुशल नाविक नहीं बन पाता है, ठीक उसी तरह से विजेता को जीवन में संघर्षों के तूफानों का सामना करना पड़ता है। विजेता अपमान की अग्नि में पसीने का घी डालने से बनते हैं।

प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि विजेता अपने सपनों को जिंदा रखते हैं, सपनों की चिनगारी बुझी तो समझो आदमी जीते जी मर जाता है। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि किनारे पर बैठकर कोई भी गोताखोर नहीं बन सकता है, तैरना सीखने के लिए पानी में तो उतरना ही पड़ता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि  जब सीने में आग लगती है तो बड़े बड़े तूफान थम जाते हैं। हमें अपनी महत्वाकांक्षा को कभी मरने नहीं देना चाहिए। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि हर जीतने वाला अपने अलग तरीके से काम करता है। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि अगर मेहनत आदत बन जाए तो कामयाबी मुकद्दर बन जाती है। प्रो. संतोष उसरेठे ने कहा कि जब तक समय की समझ आती है तब तक समय हाथ से निकल चुका होता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि हमें कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए, मंजिल मिलेगा या तजुर्बा, दोनों ही अनमोल हैं।

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