मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"कुंभ समूची मानवता के हृदय की अभिलाषा है": अवधेश तिवारी
"कविता जीवन की पीड़ाओं में विस्मय बोधक चिन्ह है ": प्रो. अमर सिंह
"टूटी खाट उधड़ी दीवारें दांत निपोरें फर्श पड़ा है, बिना नींव की दीवारों पर ताजमहल ये आज खड़ा है ": हैदर अली खान
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: मध्यप्रदेश आंचलिक साहित्यकार परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन प्रस्तावित ऑडीटोरियम स्थल एकता पार्क के पास सम्पन्न हुआ जिसका सर्वप्रथम आगाज़ वरिष्ठ कवि नन्द कुमार दीक्षित के काव्य उद्घोष "अनुराग के सागर छलकते हों जहां, ऐसा भारत हमें चाहिए" ने मनुष्यता निर्माण के सद्भाव की मां सरस्वती से आराधना की। वरिष्ठ कवि रतनाकर रतन ने "अरमानों के अवसर पर, कितने कफ़न बिछाए" कहकर मनुष्य की चेतना सामर्थ्य के उदय होने की बात कही। आकाशवाणी छिंदवाड़ा के पूर्व उद्घोषक एवं परिषद के अध्यक्ष अवधेश तिवारी ने सनातन संस्कृति में कुंभ की महत्ता पर यों प्रकाश डाला "कुंभ राष्ट्र का स्वाभिमान है, जन गण मन की भाषा है, कुंभ समूची मानवता के हृदय की अभिलाषा है "। सौंसर के वरिष्ठ कवि एस. आर. शेंडे ने "क्रांति की मशाल बुझने नहीं देंगे, शहीदों की कुर्बानियां व्यर्थ जाने नहीं देंगे" कहकर आजादी के दीवानों को श्रद्धांजलि दी। प्रो. अमर सिंह ने अपने कविता के समीक्षात्मक उद्बोधन में कहा कि कविता जीवन की पीड़ाओं में विस्मय बोधक चिन्ह है। कविता तर्क से उत्पन्न रूखेपन में जादुई ताजगी भर देती है और शाश्वत मूल्यों की प्रखरता को पल भर में सामने ला देती है। युवा कवि शशांक दुबे ने "सांसों की सरगम में तेरी लय हो, हो वो सिंहनाद चाहे प्रलय हो " से भारत मां की वंदना प्रस्तुत की। कवयित्री हिना खान ने "जिंदगी की कड़ियों को जो तोड़े, वह गुनहगार" कहकर सबको रोमांचित कर दिया। कवयित्री मोहिता मुकेश जगदेव ने अपनी कविता में जीवन में दर्द से बोझिल मनोवस्था यों व्यक्त की "कभी बताया नहीं मुस्कुराहट के पीछे छिपे दर्द का राज किसी को"।झगड़े की वजह मां भी होती है कि इसे तू रखेगा, इसे तू रखेगा : प्रीति जैन शक्रवार
कभी बताया नही किसी को अपनी मुस्कान के पीछे छिपे दर्द का राज : मोहिता मुकेश *कमलेंदु*
जिंदगी की कड़ियों को जो तोड़े, वह गुनहगार:हिना खान
अंकुर बाल्मीकि ने अपने शब्द चित्र "अपनी सारी जिंदगी कभी किसी को देना नहीं कि कट जाए वो हर किसी के मंजे से" से सबको रोमांचित कर दिया। वरिष्ठ कवि राजेंद्र यादव ने" जितना था सांसों का संचय, किंचित किया न अपव्यय" कहकर जीवन को मूल्यों में जीने पर जोर दिया। कवयित्री प्रीति जैन शक्रवार ने अपनी रचना "झगड़े की वजह मां भी होती है कि इसे तू रखेगा, इसे तू रखेगा" पढ़कर घरेलू मनमुटाव की वजहों का बखान किया। वरिष्ठ कवि रामलाल सराठे ने "जिनकी आन तिरंगा, जिनकी शान तिरंगा है, जिनके लहू के छीटों की पहचान तिरंगा है" ने देशभक्ति का जज्बा जगा दिया। वरिष्ठ कवि हैदर अली खान ने अपनी रचना "टूटी खाट, उधड़ी दीवारें, दांत निपोरें फर्श पड़ा है, बिना नींव की दीवारों पर ताजमहल खड़ा है" से मुफलिसी का मार्मिक चित्र निरूपण किया। वरिष्ठ कवि अशोक जैन ने अपनी कविता यों पढ़ी, "खुश रहो और खुशी की बात करो, जिंदा हो तो जिंदगी की बात करो। लक्ष्मण प्रसाद डहेरिया ने अपना गीत "जान न्योंछावर करने का इकरार है, हां मुझे अपने वतन से प्यार है"। भजन गायक निर्मलाचार्य ने अपना भजन यों पढ़ा "देश के काम जो आए उसे वीर कहते हैं, राम के काम जो आए उसे महावीर कहते हैं"। काव्य गोष्ठी को आयोजित करने में वरिष्ठ रंगकर्मी सचिन वर्मा का विशेष सहयोग रहा और ओमप्रकाश सोनवंशी की विशेष गरिमामई उपस्थिति रही। काव्य गोष्ठी का मंच संचालन वरिष्ठ कवि नंद कुमार दीक्षित ने किया।