26 जनवरी के बाद सक्रिय देखेंगे मुंह बोले पत्रकार
Threat to media from outspoken journalists:
पत्रकारिता को देश का चौथा स्तम्भ के नाम सें जाना पहचाना जाता है व्यवस्थापिका कार्यपालिका न्यायपालिका के बाद चौथा स्तम्भ में पत्रकारिता को दर्जा दिया गया है। लेकिन आज देश में मुंह बोले पत्रकार हर गली मौहल्ले कस्बा नगर छेडियो में नजर आने लगे हैं जिनका मकसद पत्रकारिता दूर- दूर तक नजर नही आती न कभी मीडिया कवरेज खबर पढ़ने एवं देखने को मिलती न पत्रकारिता की परिभाषा को परिभाषित कर पाते हैं।ऐसे मुंह बोले पत्रकार किसी मीडिया संस्थान से हजार पांच हजार खर्च करके प्रेस आई डी कार्ड जारी करवा कर 15 अगस्त 26 जनवरी को सक्रिय हो जाते हैं शासकीय दफ्तरो निजी व्यावसायी के कार्यालयों के आस पास झुंड की झुंड देखने को मिलते हैं और बडे हौसला बुलंद आवाज में ख्याति प्राप्त पत्रकार और मीडिया संगठन पदाधिकारी की संज्ञा देते हुए कर्मचारी अधिकारी व्यावसायी सें पेश होते हैं। जिनकी भूमिका पत्रकारिता कवरेज खोजी खबर जनसम्पर्क कार्यलय सें शून्य होती है। ऐसे मुंह बोले पत्रकारो की वजह से आम जनता पत्रकारो की पहचान करना भूल गई है।दफ्तरो में अधिकारी कर्मचारी पत्रकार शब्द सें नफरत करने लगे हैं। पत्रकारिता के जानकार अधिकारी कर्मचारी व्यावसायी स्याही से कोरे कागज पर कलमकारी संपादन करने वाले कलमकार पत्रकार को भलीभांति जानते हैं। कुछ डर भय के कारण मुंह बोले पत्रकारो कों सेवा मेवा सत्कार में लग जाते हैं। ऐसे मुंह बोले पत्रकारो की वजह सें आज पत्रकारिता जनसंचार सें लोगो का विश्वास खत्म होते जा रहा है।ऐसे मुंह बोले पत्रकारो का जिस किसी शासकीय सेवक निजी सेवक से सामना हो जरुर उनसे पत्रकारिता के बारे में संवाद कर पत्रकारिता इतिहास और उनकी पत्रकारिता में शिक्षा के बारे में जरुर पूंछना चहिये। जिससे मुंह बोले पत्रकार कभी दोबारा पत्रकार बताने में संकोच करे।कुछ ऐसे भी ख्याति प्राप्त पत्रकार पेश होते हैं जिनकी हिंदी भाषा शैली शुद्ध लेखन भी सही ठंग सें नही लिख पाते हैं। कुछ ऐसे भी पेश होते हैं व्हाट्सएप ग्रूप मे एपिसोड ब्रेकिंग न्यूज़ चार लाईन लिखकर पौस्ट करने के बाद ब्रेकिंग न्यूज़ कुछ समय बाद मिटा देते हैं। कुछ पत्रकार ऐसे भी पेश होते हैं एक साथ दस बीस जगह सीएम हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज करते हैं जिस जगह की शिकायत की जाती है उस ठिकाने को कभी देखा न समझा न सही गलत को समझा जाता सिर्फ दूसरे उदेश्य सें शिकायत की जाती है शिकायत का उदेश्य निष्पक्ष जांच नही होती बल्कि चंद राशि उदेश्य होता है।
बेरोजगारी दे रही मुंह बोले पत्रकारो का जन्म
एक कलमकार पत्रकार चित्रकार बनने के लिए भी शिक्षा की जरुरत होती है इन सभी क्षेत्रो में पाठ्यक्रम कोर्स उपलब्ध है।आज देश के ख्याति प्राप्त मीडिया संस्थानों में कार्यरत पत्रकार संवाददाता ब्यूरो चीफ ब्यूरो एंकर ग्राफिक्स कैमरामैन डिजायनर एडिटर एडिटर इन चीफ मेनेजर तमाम कार्यरत पत्रकार पत्रकारिता एवं जनसंचार एवं मीडिया कोर्सों सें डिग्री डिप्लोमा शिक्षा प्राप्त करके मीडिया संस्थानों में पत्रकारिता करते हैं।लेकिन आज जिला तहसील नगर कस्बों गांवो में माइक आई डी यूट्यूबर व्हाट्सएप वीर मुंह बोले पत्रकारो की भरमार आ गई है। कुछ डमी पत्रकार 15 अगस्त 26 जनवरी को ही जिंदा होते हैं पत्रकारिता को आय का धंधा समझकर सक्रिय हो जाते हैं। हर बेरोजगार व्यकि सौचता पत्रकार बनना सरल है बिना पढाई लिखाई के भी दो तीन हजार रुपये खर्च करके पत्रकार बन सकते हैं बिना लागत का धंधा समझकर हर कोई पत्रकार का कार्ड मीडिया संस्थानों सें जारी कराने का काम कर रहे हैं। कुछ पत्रकारिता की आढ में पत्रकारिता को चौकीदार बनाकर धंधा व्यावसाय ठेकेदारी अवैध व्यावसाय टोल नाका पुलिस चलान सें बचने के लिए पत्रकार कार्ड का उपयोग करने के लिए जारी करवाते हैं । ऐसे स्वार्थ के कारण पत्रकारिता से लोगो का विश्वास खत्म की और बढते जा रहा है।
पत्रकारिता कोर्स उपलब्ध है
पत्रकारिता में कोर्स करने के लिए,12वीं पास होना ज़रूरी है. इसके बाद,आप बैचलर डिग्री या पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स कर सकते हैं. पत्रकारिता में कोर्स करने के बाद, आप मीडिया क्षेत्र में काम कर सकते हैं.
*पत्रकारिता के कुछ कोर्स*:
*बैचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन (बीजेएमसी)।
*इवेंट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन (एमजेएमसी)।
*मीडिया बिज़नेस स्टडीज़ में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम।
*स्ट्रैटेजिक कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम।
*रेडियो एवं टेलीविज़न पत्रकारिता।
*डिजिटल मीडिया।
*हिन्दी पत्रकारिता।
*अंग्रेज़ी पत्रकारिता।
*विज्ञापन एवं जनसंपर्क!
*उर्दू पत्रकारिता.
पत्रकारिता के कोर्स में, आपको मास मीडिया के अलग-अलग रूपों के बारे में पढ़ाया जाता है. साथ ही, इंटर्नशिप के ज़रिए पत्रकारिता की व्यवहारिकता को समझने का मौका मिलता है.पत्रकारिता बेरोजगारी खत्म आय का साधन नही है वर्तमान समय में देखा जाए तो हर गली मौहल्ले में मुंह बोले पत्रकार नजर आ रहे है ऐ लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के लिए खतरा है जन सम्पर्क विभाग को सतर्क होना पढेगा साथ ही सभी अखबार पत्रिका के प्रकाशन संपादको को सौच समझकर शिक्षित अनुभवी व्यक्ति को ही कार्ड जारी करना चहिये जो पत्रकारिता में रूचि रखता है।
नीलेश डेहरिया
एमजेएमसी (पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय सें स्नातकोत्तर )
(mjmc) अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल। master of journalism and mass communication
UCG NET Qualified
Journalism and mass communication
(National eligibility text assistance professor)