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आधुनिकता की आड़ में रिश्तों का पतन है यूनिकॉर्न रिलेशनशिप: डॉ गोहे

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        मोहिता जगदेव

  उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

स्वतंत्रता तभी सार्थक है जब उसमें मर्यादा और जिम्मेदारी हो : डाॅ संदीप गोहे


उग्र प्रभा समाचार ,बैतूल : आज के आधुनिक समाज में रिश्तों की परिभाषा तेजी से बदल रही है। लिव-इन रिलेशनशिप के बाद अब यूनिकॉर्न रिलेशनशिप जैसी अवधारणा चर्चा में है, जिसमें एक जोड़ा अपने अंतरंग जीवन में किसी तीसरे व्यक्ति को शामिल करता है। यह मॉडल नैतिकता और भारतीय पारिवारिक संरचना के लिए गंभीर खतरा है। यह बात मनोवैज्ञानिक,मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. संदीप गोहे ने प्रेस को जारी अपने बयान में व्यक्त की है।उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में विवाह केवल कानूनी अनुबंध नहीं एक संस्कार भी है। इसमें विश्वास, निष्ठा और जिम्मेदारी प्रमुख तत्व हैं। ऐसे में किसी तीसरे व्यक्ति का प्रवेश उस पवित्रता पर चोट करता है। अक्सर ऐसे संबंधों में सहमति का मुखौटा शोषण को ढंक देता है, जहां तीसरा व्यक्ति सिर्फ इच्छाओं की पूर्ति का साधन बन जाता है। इस स्थिति को यूनिकॉर्न हंटिंग कहा जाता है, और दुर्भाग्यवश, कानून के पास इसके लिए कोई स्पष्ट संरक्षण नहीं है।

डॉ. गोहे चेतावनी देते हैं कि सोशल मीडिया और वेब सीरीज़ ऐसे संबंधों को आधुनिक स्वतंत्रता के नाम पर सामान्य बना रहे हैं। मनोरंजन के नाम पर नैतिक सीमाओं को मिटाने की यह प्रवृत्ति समाज के लिए खतरनाक संकेत है। स्वतंत्रता तभी सार्थक है जब उसमें मर्यादा और जिम्मेदारी हो। पुरुषों और तीसरे व्यक्ति के अधिकारों की असुरक्षा भी एक बड़ा प्रश्न है, जिसके कारण पुरुष आयोग की स्थापना की आवश्यकता और प्रासंगिक हो गई है। फिलहाल भारत में ऐसे संबंध कानूनी अस्पष्टता के घेरे में हैं, परंतु यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे शहरी समाज में पनप रही है। डॉ. संदीप गोहे का स्पष्ट मत है कि यदि आधुनिकता के नाम पर नैतिकता की रेखा मिटा दी गई, तो समाज का पतन निश्चित है।

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