Type Here to Get Search Results !

तीन गोलियां लगने के बाद भी शहीद इंस्पेक्टर आशीष शर्मा नें टीम को निकाला था सुरक्षित पढिये वीर गाथा

0

 *नक्सलियों के खौफ ‘हॉकफोर्स’ के बहादुर इंस्पेक्टर आशीष शर्मा शहीद 


*तीन गोलियां लगने के बाद भी टीम को सुरक्षित निकालने में निभाई अग्रिम भूमिका

*प्रदेश और बालाघाट सदमे में—जनवरी में होने वाली थी शादी**

बालाघाट//नरसिंहपुर //उग्र प्रभा

मुझे तोड़ लेना वनमाली…”  माखनलाल चतुर्वेदी की इन पंक्तियों में जिस पुष्प की अभिलाषा का वर्णन है, उसी की तरह हॉकफोर्स के जांबाज़ इंस्पेक्टर आशीष शर्मा (31) ने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। नक्सल उन्मूलन में साहस और पराक्रम का प्रतीक बने आशीष शर्मा का शौर्य न केवल बालाघाट बल्कि पूरे प्रदेश की स्मृति में सदैव अंकित रहेगा।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के बोरतालाब जंगल में शहीद

बुधवार सुबह, बोरतालाब के घने जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर फायरिंग कर दी। टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर आशीष शर्मा को तीन गोलियां लगीं। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने जवानों को कवर देते हुए सुरक्षित पीछे हटने का निर्देश दिया।उन्हें बचाने के प्रयास हुए, मगर वीर आशीष अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।साथियों की आंखें नम—एसपी आदित्य मिश्रा फूट-फूटकर रो पड़ेमृदुभाषी, मिलनसार और कर्तव्यनिष्ठ आशीष के चले जाने से पुलिस बल सदमे में है।श्रद्धांजलि के दौरान, एसपी आदित्य मिश्रा अपने साथी का तिरंगे में लिपटा शव देखकर भावुक होकर फूट-फूटकर रो पड़े। जवानों की आंखों से भी अश्रुधारा थम नहीं रही थी।

बालाघाट में उमड़ा सैलाब—फूलों की बारिश में अंतिम विदाई

गुरुवार सुबह आंबेडकर चौक पर तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर के पहुँचते ही माहौल गमगीन हो गया। जनप्रतिनिधि, अधिकारी, पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तथा सैकड़ों नागरिक ने शहीद को नम आंखों से अंतिम सलामी दी।इसके बाद शहीद शवयात्रा पुलिस लाइन स्थित शहीद स्मारक पहुंची, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।यहाँ नक्सल डीजी पंकज श्रीवास्तव, आईजी संजय कुमार, कलेक्टर मृणाल मीणा, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन, और जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सरस्वार सहित बड़ी संख्या में अधिकारी मौजूद थे।

भाई अंकित का दर्द बना पहाड़—नक्सल डीजी ने ढांढस बंधाया

शहीद के भाई अंकित, उनके पार्थिव शरीर को देखकर बुरी तरह रो पड़े। नक्सल डीजी पंकज श्रीवास्तव ने उन्हें गले लगाकर सांत्वना दी।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दी अंतिम विदाई—कंधा भी दिया 


शहीद के गृहगांव बोहानी (जिला नरसिंहपुर) में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल सहित मंत्री उदय प्रतापसिंह कांगेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी नेता विपक्ष उमंग सिंगार विधायक श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की—

परिजनों को ₹1 करोड़ की आर्थिक सहायता

भाई को पुलिस विभाग में सब-इंस्पेक्टर की नौकरी

गांव में पार्क और स्टेडियम का निर्माण

दो बार राष्ट्रपति के हाथों वीरता पदक प्राप्त

नक्सल डीजी पंकज श्रीवास्तव ने बताया—

आशीष शर्मा ऐसे बहादुर अधिकारी थे, जिन्हें नक्सल उन्मूलन में अतुलनीय योगदान

चार नक्सलियों को मार गिराने की सफलता के लिए दो बार राष्ट्रपति से वीरता पदक प्राप्त हुआ।

2018 से बालाघाट में तैनाती—नक्सलियों के खात्मे का लिया था संकल्प आशीष शर्मा को बालाघाट हॉकफोर्स में 2018 से तैनाती मिली थी।उन्होंने अपने नियत कार्यकाल के बाद भी जिले में रुककर नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य चुना।

उनके नेतृत्व में—

14 लाख इनामी एसीएम रूपेश उर्फ हुंगा डोरी का एनकाउंटर (2022)

28 लाख इनामी एसीएम सुनीता और सरिता का एनकाउंटर (2023)

62 लाख इनामी नक्सली कमांडर आशा, रंजीता, सरिता और लख्खे का मुठभेड़ में खात्मा (फरवरी 2025)

जैसी बड़ी सफलताएँ मिलीं।

इन्हीं उपलब्धियों के कारण उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर निरीक्षक बनाया गया था।जनवरी में होने वाली थी शादीशहीद आशीष अविवाहित थे।परिवार के अनुसार जनवरी 2026 में उनकी शादी तय थी, परिवार तैयारियों में जुटा था—पर नियति को कुछ और मंजूर था।

More Interesting Posts

Post a Comment

0 Comments

Footer

चैनल सब्सक्राइब करे

📺 हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें


🔔 SUBSCRIBE NOW