Type Here to Get Search Results !

हर चुनौती आत्मविकास का सदमार्ग होती है ": प्रो. अमर सिंह

0

        मोहिता जगदेव

   उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

गांधीगंज में गीता दर्शन पर व्याख्यान 

"गीता दर्शन आध्यात्मिक शुचिता का सर्वोत्कृष्ट चिंतन है": प्रो. अमर सिंह 


" मनुष्य अपने विश्वासों की उपज होता है ": प्रो. अमर सिंह 

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: विश्वगीता प्रतिष्ठान की छिन्दवाड़ा इकाई द्वारा साप्ताहिक पाठ गीता दर्शन से चरित्र निर्माण विषय पर पंचेश्वर हनुमान मंदिर गांधीगंज में प्रेरक उद्बोधन देते हुए चांद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि गीता दर्शन आध्यात्मिक शुचिता, बौद्धिकता और पीका सर्वोत्कृष्ट चिंतन है। मनुष्य अपने विश्वासों की उपज होता है। अहंकार से मुक्त हुए बिना स्वयं का वास्तविकता से परिचय नामुमकिन है। मुसीबतें पराक्रमी की परीक्षा होती हैं। कर्म पर फोकस होने से तनाव से मुक्त मिलती है और काम में दक्षता आती है। हर चुनौती आत्मविकास का सदमार्ग होती है। स्थितप्रज्ञ ही सच्चा योगी होता है। संयोजक नेमीचन्द्र व्योम ने कहा कि कोई भी अपने कर्मों से बच नहीं सकता है। बिना काम में आनंद लिए पूर्णता प्राप्ति नहीं होती है। के. एल. बत्रा ने कहा है कि कर्म भाग्य से ऊंचा है। मजबूत मन वाले के लिए परिस्थितियां सुअवसर होती हैं। शशिप्रभा अग्रवाल ने कहा कि गलतियों से सीखना गलतियों को सीढ़ियां बनाना होता है। भारती गुप्ता ने कहा कि अपने दायरे से बाहर की चीजों पर समय बिताना मूर्खता है। शंकर साहू ने कहा कि अनियंत्रित इंद्रियां भटकाती हैं। कर्मों में कुशलता ही योग है। केशव प्रसाद साहू ने कहा कि समभाव संत का स्वभाव होता है, इससे सहचरत्व में वृद्धि होती है। निर्मल उसरेठे ने कहा कि प्रकृति अपने नियमों से संचालित होती है।

More Interesting Posts

Post a Comment

0 Comments

Footer

चैनल सब्सक्राइब करे

📺 हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें


🔔 SUBSCRIBE NOW