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"आदिवासी गौरव दिवस पर्यावरण संरक्षण का पुनर्स्मरण है": प्रो. अमर सिंह

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        मोहिता जगदेव 

  उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

चांद कालेज में आदिवासी गौरव दिवस समारोह आयोजित 

"बिरसा मुंडा की कुर्बानी इतिहास के अधूरे अध्यायों का स्मरण है: प्रो. अमर सिंह 

उग्र प्रभा समाचार, चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित आदिवासी गौरव दिवस समारोह में प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि आदिवासी गौरव दिवस अपनी जमीन पर स्वाभिमान करने का दिवस है। बिरसा मुंडा की जयंती जल, जंगल व जमीन को संरक्षित करने का पुनर्स्मरण है। धरती आबा बिरसा मुंडा की विरासत अपनी संस्कृति की जड़ों से जुड़ने, अपनी अस्मिता बनाए रखने और आत्मनिर्भर भारत बनने का पुनर्स्मरण है। यह अवसर वीर आदिवादियों के बलिदान, पर्यावरण संरक्षण, दुर्व्यसन से मुक्ति व अंधविश्वास से निजात पाने का आव्हान है। आदिवासी गौरव दिवस स्वतंत्रता संग्राम के अनलिखे, अधूरे व असंतुलित अध्यायों को पुनः समझने का दिवस है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा है कि बिरसा मुंडा ने अपना पंथ बिरसायत, अपना देश, अपना राज एवं उलगुलान आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया।


आदिवासी बलिदानियों के संघर्ष को आजादी के आंदोलन की आधारशिला है:प्रो रक्षा उपश्याय

"आदिवासी शहीदों के संघर्ष प्राकृतिक संपदा के संरक्षण हेतु हैं ": प्रो. अमर सिंह 

 प्रो. लक्ष्मण उइके ने कहा कि बिरसा मुंडा की विरासत प्राकृतिक संसाधनों के समुचित दोहन से वंचित तबकों के आर्थिक समृद्धि विकसित करने पर टिकी है। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस उन्नीसवीं सदी के अंत में अंग्रेज शासन के विरुद्ध आदिवादियों के जमीन के अधिकार व संस्कृति के संरक्षण के स्मरण का दिवस है। प्रो . सुरेखा तेलकर ने कहा कि बिरसा मुंडा के साथ सभी भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी समूची जनजाति के लोकनायक हैं, जिन्होंने अपनी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण के लिए अल्पायु में अपने प्राणों की बलि दी है। प्रो . रक्षा उपश्याम ने कहा कि आदिवासी बलिदानियों के संघर्ष को आजादी के आंदोलन की आधारशिला है।

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