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बालाघाट में सरकारी डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई — निजी क्लीनिक सील, अब सवाल छिंदवाड़ा पर कब होगी सख्ती?

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 🏆 बालाघाट में सरकारी डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई — निजी क्लीनिक सील, अब सवाल छिंदवाड़ा पर कब होगी सख्ती?


✍️ उग्र प्रभा समाचार – विशेष रिपोर्ट

बालाघाट।शासकीय चिकित्सक होकर भी निजी क्लीनिक चलाने वाले दो डॉक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए उनके क्लीनिक सील कर दिए हैं।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. परेश उपलप के नेतृत्व में गठित निरीक्षण दल ने यह कार्रवाई कलेक्टर मृणाल मीना के निर्देश पर की।30 अक्टूबर को बालाघाट जिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रद्धा बारमाटे एवं वारासिवनी सिविल अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति मेश्राम के निजी क्लीनिकों को सीलबंद किया गया।

जांच दल में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पंकज महाजन, डॉ. वर्ष चौबे और डॉ. श्रद्धा सिंह शामिल रहीं

⚖️ सरकारी डॉक्टर निजी क्लीनिक चला रहे थे — स्वास्थ्य विभाग की सख्त कार्रवाईमध्यप्रदेश शासन के स्वास्थ्य विभाग के निर्देश अनुसार, शासकीय चिकित्सक केवल अपने निवास स्थान पर कर्तव्य अवधि के बाहर परामर्श सेवाएं दे सकते हैं।लेकिन बालाघाट में ये दोनों डॉक्टर अपने निवास से अलग निजी क्लीनिक चलाकर इलाज और माइनर ऑपरेशन तक कर रही थीं।निरीक्षण के दौरान डॉ. श्रद्धा बारमाटे के क्लीनिक में ऑपरेशन फोरसेप किट, डिस्पोजेबल सिरिंज, मरीज रजिस्टर और आशा कार्यकर्ताओं की सूची बरामद हुई।वहीं डॉ. स्वाति मेश्राम के क्लीनिक में भी पेथोलॉजी लैब, ओपीडी रजिस्टर और उपकरण पाए गए।दोनों क्लीनिकों को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया

📜 कानून क्या कहता है

शासन के नियमों के अनुसार,शासकीय चिकित्सक केवल परामर्श दे सकते हैं —वे अपने नाम या परिजनों के नाम से क्लीनिक या नर्सिंग होम नहीं चला सकते।सर्जरी या टेस्टिंग उपकरण (जैसे X-ray, सोनोग्राफी, पैथोलॉजी लैब आदि) रखना या उपयोग करना पूर्णतः वर्जित है।

🚨 बालाघाट में कार्रवाई, लेकिन छिंदवाड़ा में कब होगी जांच?

बालाघाट में हुई इस सख्त कार्रवाई के बाद अब सवाल उठ रहा है —छिंदवाड़ा जिले में ऐसे कई सरकारी डॉक्टर हैं, जो सरकारी नौकरी के साथ-साथ निजी क्लीनिक खोलकर मोटी फीस वसूल रहे हैं।जनता का कहना है कि अगर बालाघाट में कार्रवाई संभव है, तो छिंदवाड़ा में क्यों नहीं?मरीजों से 500 से 1000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं,जबकि वही डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में अक्सर अनुपस्थित रहते हैं।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि –> “सरकार को सिर्फ बालाघाट ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में ऐसे क्लीनिकों पर ताला लगाना चाहिए।”

🩺 स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही जरूरी

बालाघाट जैसी कार्रवाई यह संदेश देती है कि शासन अब ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा।परंतु अगर छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला जैसे जिलों में भी यही स्थिति है,तो वहाँ भी ऐसे क्लीनिकों पर निरीक्षण और अनुशासनात्मक कार्रवाई जरूरी है।📣 जनता की मांग — सभी जिलों में समान सख्ती होशासकीय चिकित्सक जो गरीबों के लिए मुफ्त इलाज के दायित्व में हैं,वे अपने निजी क्लीनिकों में उन्हीं गरीबों से मोटी फीस लेकर निजी प्रैक्टिस को व्यवसाय बना चुके हैं।जनता मांग कर रही है कि सरकार ऐसी समान कार्रवाई पूरे मध्यप्रदेश में करे


📍 उग्र प्रभा समाचार | विशेष रिपोर्ट | बालाघाट-छिंदवाड़ा संवाददाता उग्र प्रभा समाचार सदैव आवाज उठाता रहा सरकारी चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस क्लीनिक को लेकर जिसकी आवाज उठाता रहा है। 

📅 30 अक्टूबर 2025

#CMMadhyaPradesh#JansamparkMP #HealthDeptMP #UgraPrabhaNews


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