Type Here to Get Search Results !

चांद कालेज में अहिल्याबाई की विरासत के सबक पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

0

        मोहिता जगदेव

   उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा

चांद कालेज में अहिल्याबाई की विरासत के सबक पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित 

" अहिल्याबाई को आज भी इतिहास में अपेक्षित स्थान की दरकार है": प्रो रामगोपाल सिंह 

" अहिल्याबाई ने प्रजाकेंद्रित नीतियों की आधारशिला रखी है": प्रो. इलहाम हुसैन ढाका विश्वविद्यालय 


" अहिल्याबाई मर्यादित आचरण की न्यायप्रिय तपस्वी शासिका थी ": प्रो. आनंद कुमार इलाहाबाद विश्वविद्यालय

 "अहिल्याबाई मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण

आइकॉनिक मां थी"; प्रो.  विनोद कुमार बनारस 

" अहिल्याबाई को जितनी उपाधियां मिली हैं, उतनी किसी और को नहीं ": प्रो. प्रमेश पाल आगरा 

उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद छिंदवाड़ा द्वारा पुण्यशालोका अहिल्याबाई होलकर की विरासत से आज के समाज के पुनर्निर्माण हेतु "न्याय की रानी: महिलाओं का शासन में क्रमिक विकास"पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में प्रमुख स्त्रोत वक्ता भूगोल के एसोसिएट प्रोफेसर जे. एन. शासकीय महाविद्यालय पोर्टब्लेयर प्रो. रामगोपाल सिंह बघेल कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर को इतिहास में अपेक्षित स्थान मिलने की आज भी दरकार है। अहिल्याबाई का राजमाता से लोकमाता तक का सफर भारतीय सनातन संस्कृति के मूल्यों की आध्यात्मिक संन्यासी का सफर है। वे एक लोकसेविका, लोकहितैषी, अविलासी, परोपकारी, स्वस्फूर्त अभिप्रेरणा से अभिप्रेरित, इंद्रियातीत अनुभवी, नैतिक दृष्टा, न्याय प्रशासन की आइकॉन एवं संवेदनशील प्रशासिका थी। बांग्लादेश ढाका विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो. इलहाम हुसैन ने कहा कि अहिल्याबाई प्रजा केंद्रित नीतियों को अमलीजामा पहनाने वाली, नैतिक प्रशासनिक नेतृत्व की मिसाल, व पितृसत्तात्मकता की प्रतिछाया में समाज में महिला नेतृत्व की मिसाल बनी हैं।


इलाहाबाद डिग्री कॉलेज के प्रो.आनंद कुमार ने अहिल्याबाई को महिला मर्यादित आचरण का प्रकाश, नारी गरिमा शक्ति को पुनर्परिभाषित करने वाली, नारी हिस्सेदारी की वकालत करने वाली, समर्पण, अनुशासन, मर्यादा की प्रतीक, लैंगिक समानता की प्रवक्ता और रणक्षेत्र ने सेना की महिला संचालिका का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। उदयप्रताप स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बनारस के प्रो. विनोद कुमार ने अहिल्याबाई को मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण आइकॉनिक मां, पुण्यश्लोका, क्षमाशील, निर्भीक शासिका, दूरदर्शी दृष्टि, पारदर्शी सोच और किसानों की प्रतिनिधि आवाज करार दिया। आर. बी. एस. कॉलेज आगरा के शिक्षा विभाग के प्रो. प्रमेश पाल ने कहा कि भारतीय इतिहास में अहिल्याबाई को जितने 
टाइटिल मिले हैं, उतने किसी और को नहीं मिले। प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई सर्वसमावेशी वैचारिकी की पक्षधर, बहुउपयोगी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने वाली, महेश्वरी साड़ी की विशेष आर्थिक जोन निर्मात्री एवं पक्षपात मुक्त थी। वे सिर्फ धार्मिक ही नहीं थी, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व शैक्षिक चिंतक भी थी। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि अहिल्याबाई तीन पीढ़ियों को खोकर भी संतुलित मनोस्थिति बरकरार रखने वाली, पारस की तरह व्यक्तित्व वाली, पूर्वाग्रह मुक्त एवं सद्प्रवृत्तियों से सबको हरा देने वाली नारी थी। प्रो. सकरलाल बट्टी ने अहिल्याबाई को मूल संवैधानिक भावना से प्रेरित, प्रभुत्व का हौदा, ईमानदार, सत्यनिष्ठा, इरादों की सुचिता, आज भी प्रासंगिक, समावेशी समाज के निर्माण एवं धार्मिकता राष्ट्रीय चेतना का पर्याय बताया। वेबिनार में लगभग 80 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए और देश विदेश के 400 प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दी।

More Interesting Posts

Post a Comment

0 Comments

Footer

चैनल सब्सक्राइब करे

📺 हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें


🔔 SUBSCRIBE NOW