मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा में रसायन, जैव रसायन और आयुर्वेद में भारतीय औषधिक पौधों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का भव्य उद्घाटन
तामिया की वनस्पति पर शोध औषधि जगत में क्रांति ला सकता है": सुश्री अनुसुइया उइके
" हर पौधे में किसी गंभीर बीमारी के इलाज का सत्व है ": प्रो. के. बी. पांडे
" तामिया की अकूत वानस्पतिक औषधियां को दोहन का इंतजार है ": प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा सह आयोजक पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार और पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट हरिद्वार के तत्वाधान में रसायन, जैव रसायन और भारतीय औषधिक पौधों का आयुर्वेद विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ मणिपुर की पूर्व राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने कहा कि तामिया में असंख्य औषधीय पौधों पर शोध करके आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है। विशिष्ट अतिथि प्रो. के. बी. पांडे ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि वानस्पतिक औषधि में गंभीर बीमारियों के इलाज का स्थाई समाधान है, बशर्ते कि उनकी सही पहचान कर की जाए। अध्यक्ष भारतीय साइंस कांग्रेस समिति प्रो. अरविंद कुमार सक्सेना ने कहा कि हर पौधा या वृक्ष अपनी विशिष्ट औषधिक खूबियों से भरपूर होता, बस जरूरत है उसको पहचानने वाले विशेषज्ञ की।
डॉ. रमन मोहन सिंह पूर्व निदेशक आयुष ने कहा कि आज भारतीय प्राकृतिक औषधीय पौधों का निर्यात देश विदेश में हो रहा है, जिससे जंगल में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। प्रो. भरत मिश्रा कुलपति चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने कहा कि हर जिले में औषधीय वाटिका होनी चाहिए ताकि प्राकृतिक औषधीय संपदा पर शोध किया जा सके। प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो. अरविंद सक्सेना अध्यक्ष विज्ञान कांग्रेस, प्रो. वेदप्रकाश व्यास ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद नई दिल्ली, डॉ. राजेंद्र सिंह वैज्ञानिक नई दिल्ली व उमेश शुक्ला, चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट ने व्याख्यान दिए। कार्यशाला संरक्षक व अध्यक्ष प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी कुलगुरू राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा ने कहा कि तामिया में 700 प्रकार की वनस्पतियां हैं, जिनकी पहचान, संरक्षण व सही औषधीय उपचार की विधियों की खोज का इंतजार है। राष्ट्रीय कार्यशाला में कुलसचिव डॉ युवराज पाटिल ने स्वागत भाषण व संयोजक डॉ जे. के. वाहने ने सभी का आभार व्यक्त किया।
डॉ. रमन मोहन सिंह पूर्व निदेशक आयुष ने कहा कि आज भारतीय प्राकृतिक औषधीय पौधों का निर्यात देश विदेश में हो रहा है, जिससे जंगल में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। प्रो. भरत मिश्रा कुलपति चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने कहा कि हर जिले में औषधीय वाटिका होनी चाहिए ताकि प्राकृतिक औषधीय संपदा पर शोध किया जा सके। प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो. अरविंद सक्सेना अध्यक्ष विज्ञान कांग्रेस, प्रो. वेदप्रकाश व्यास ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद नई दिल्ली, डॉ. राजेंद्र सिंह वैज्ञानिक नई दिल्ली व उमेश शुक्ला, चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट ने व्याख्यान दिए। कार्यशाला संरक्षक व अध्यक्ष प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी कुलगुरू राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा ने कहा कि तामिया में 700 प्रकार की वनस्पतियां हैं, जिनकी पहचान, संरक्षण व सही औषधीय उपचार की विधियों की खोज का इंतजार है। राष्ट्रीय कार्यशाला में कुलसचिव डॉ युवराज पाटिल ने स्वागत भाषण व संयोजक डॉ जे. के. वाहने ने सभी का आभार व्यक्त किया।

