मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
" हरिशंकर पांडेय की गजलें मानवीय संवेदनाओं का संग्रह हैं": प्रो. अमर सिंह
" हरिशंकर पांडेय के गीत सामाजिक विडंबनाओं की अभिव्यक्ति हैं ": अवधेश तिवारी
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: आंचलिक साहित्यकार परिषद की छिंदवाड़ा इकाई के साहित्यकारों ने छिंदवाड़ा के मशहूर कवि श्री हरिशंकर पांडे के गीत, गजल, हम्द व मुक्तक "संग्रह मन जीवन के सुर" का विमोचन किया।
इस अवसर पर रचनाकारों ने काव्य संग्रह के लिए अपने बहुमूल्य उद्गार व्यक्त किये। कवि के जीवन में जो भी सर्वश्रेष्ठ होता है वही उसकी कविता में अभिव्यक्त होता है इसलिए कहा जाता है कि कविता जीवन का नवनीत है । इस काव्य संग्रह पर अपने समीक्षात्मक उद्बोधन में वरिष्ठ कवि रतनाकर रतन ने कहा कि श्री पाण्डेय का काव्य संग्रह में सामाजिक विद्रूपताओं से सताए मनुष्य की मार्मिक पीड़ा है। अवधेश तिवारी ने कहा कि गजल संग्रह में समाज की विडंबनाओं, जीवन की अनिश्चितताओं व पाखंडी विचारधारा पर गहन अभिव्यक्ति है। कहानीकार दिनेश भट्ट ने अपनी "गोमती का बसेरा और ईश्वर" कहानी के माध्यम से सामयिक राजनैतिक सहूलियतों पर कटाक्ष किया।
सौंसर के कवि एस. आर. शेंडे ने काव्य संग्रह में कवि के राष्ट्रीयता से ओत प्रोत गीतों पर प्रकाश डाला। मंच संचालन करते हुए कवि राजेंद्र यादव ने मानवीय रिश्तों की कोमल ऊष्मा और मानवीय संवेदनाओं गहराई से महसूसगी व्यक्त की। प्रो. अमर सिंह ने काव्य संग्रह को मानवीय एहसासों, मधुर स्मृतियों और जीवन की अनुभूतियों का जीवंत दस्तावेज बताया। कवि अशोक जैन ने काव्य संग्रह को मन से मन तक पहुंचने वाली एक आत्मीय यात्रा कहा। कवि ओमप्रकाश नयन ने काव्य संग्रह को मानव संघर्ष की पीड़ा, परस्पर प्रेम, समर्पण और आशा की आवाज कहा। कवि लक्ष्मण प्रसाद डहेरिया ने मन जीवन के सुर संग्रह को असंख्य सुरों से निर्मित एक अनंत संगीत कहा। नन्द कुमार दीक्षित ने पाण्डेय के काव्य संग्रह को माधुर्य, करुणा व उल्लास जगाने वाली सजीव साहित्यिक अंदाज़ का अन्वेषण कहा।
लय और छंद पहले जीवन में आते हैं, बाद में कविता : अवधेश तिवारी
" मयंक की कविता सामाजिक विद्रूपताओं में जूझते मनुष्य की पीड़ा है ": रतनाकर रतन
रामलाल सराठे ने काव्य संग्रह को गहरे सामाजिक सरोकार, नेमीचंद व्योम ने जीवन की मार्मिक रहस्यों की अभिव्यक्ति, प्रकाश दुबे ने जीवन को आलोकित करने वाली सारस्वत वक्तव्य, टी. एम. आर. नायडू ने काव्य कौशल की उत्कृष्ट शैली, मोहिता जगदेव ने इंसानियत निर्माण की गीत, कविता तिवारी ने भावों की सहज स्वाभाविक अभिव्यक्ति, पद्मा जैन ने मौन की अभिव्यक्ति, अंकुर बाल्मीकि ने संवेदनाओं जगाने का का मधुरनाद, मनोज कुमार तिवारी ने गांव की सौंधी मिट्टी की खुशबू, मयंक तिवारी ने यथार्थ भरी कड़वी सच्चाई, उमादेवी पाण्डेय ने लोकहित के जीवन दर्शन, हिना खान ने निर्बल की आवाज की प्रतिनिधि, द्वारपाल मालवीय ने वक्त के तकाजे की आवाज और पुष्पा सिंह ने मनुष्यता निर्माण की धड़कन कहा। विमोचन के पश्चात काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें सभी रचनाकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया।


