मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"सुचारु भाषाई संप्रेषणीयता डॉक्टर व मरीज के रिश्ते का आधार है ": प्रो. अमर सिंह
"डॉक्टर को मरीज की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आधारित व्यवहार अपेक्षित है": डॉ. विवेकानंद वाघमारे
" डॉक्टर व मरीज के बीच नैतिक मापदंडों का पालन अनिवार्य है ": डॉ. अमोल दुर्गकर
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता प्रो. अभय कुमार के संरक्षण में फाउंडेशन पाठ्यक्रम के अंतर्गत 2025 के एमबीबीएस के नवप्रवेशित छात्रों के लिए अपने व्यवसाय के कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए संप्रेषण कौशल पर आयोजित व्याख्यान में प्रमुख वक्ता के रूप से बोलते हुए शासकीय महाविद्यालय चांद के प्रेरक वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा कि डॉक्टर और मरीज के रिश्ते में भाषाई संप्रेषणीयता के अभाव में अनावश्यक व्यवधान पैदा हो जाते हैं। संप्रेषण की पारदर्शिता, भावनात्मक रिश्तों की प्रगाढ़ता और सांस्कृतिक प्रावीण्यता सकारात्मक परिणाम तक पहुंचाते हैं। अगर डॉक्टर और मरीज के बीच भाषाई स्तर पर परस्पर भरोसा पैदा नहीं हुआ तो इलाज की प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ता है। मेडिकल एजूकेशन यूनिट के कॉर्डिनेटर व शरीर क्रिया विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. विवेकानंद वाघमारे ने कहा कि नवप्रवेशित छात्रों को सामाजिक, सांस्कृतिक व स्थानीय अभिव्यक्ति के व्यवहार से मरीज व उसके परिजनों से संप्रेषण करके मरीज केंद्रित उपचार को वरीयता देनी चाहिए। मेडिकल के तकनीकी शब्दों को स्थानीय स्तर पर में बोली जाने वाली भाषा में संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए। व्याख्यान के संयोजक डॉ. अमोल दुर्गकर ने कहा कि एक डॉक्टर के लिए मरीज के साथ विनम्रता, समान अनुभूति, अभिभावकीय और परस्पर सूझबूझ से निर्णय लेने के व्यवहार को नैतिक मापदंडों पर खरा उतरना चाहिए। व्याख्यान आयोजित कराने में लता पांडेय व एन. के. बन्देवार का उल्लेखनीय योगदान रहा।
