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खांसी कफ सिरप कोल्ड्रिफ़ और डाँक्टर नें परासिया मै ले ली 11 मासुम बच्चों की जान

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 Headline 

*खांसी कफ सिरप कोल्ड्रिफ़ और डाँक्टर नें परासिया मै ले ली 11 मासुम बच्चों की जान 


*11 मासूम बच्चों की जिंदगी खत्म होने के बाद डाँ और सिरप कंपनी पर मुकदमा दर्ज

*सरकार शासकीय चिकित्सकों को निजी क्लिनिक अस्पताल संचालन पर लगाये पाबंदी

परासिया //उग्र प्रभा //

एक माह के दौरान किडनी फेल होने से परासिया क्षेत्र के 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। जिसमें 9 बच्चों के नाम स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन के पास है। लेकिन पगारा क्षेत्र के डुडडी गांव के 7 वर्षीय दिव्यांश चंद्रवंशी एवं परासिया के वार्ड क्रमांक 9‌ की 18 माह की बालिका श्रेया यादव का नाम विभाग के रिकार्ड में नहीं है। जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें खजूरी अंतु की 14 माह की बालिका संध्या, 5‌ वर्षीय अदनान खान न्यूटन चिखली, 5 वर्षीय हेतांश सोनी उमरेठ तथा परासिया के वार्ड क्रमांक 5 का 4 वर्षीय बालक उसैद, बाघ बर्दिया का 4 वर्षीय बालक शिवम राठौर, बेलगांव की विधि, सेठिया की 5 वर्षीय बालिका रिषिका पिपरे‌, गायगोहान के चंचलेश एवं दीघावानी के 4 वर्षीय बालक विकास यदुवंशी का नाम शामिल है। 

सभी बच्चों का इलाज एक ही निजी क्लीनिक में हुआ 

 किडनी इन्फेक्शन को लेकर यह चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है कि जिन बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हुई है तथा जो बच्चे किडनी इन्फेक्शन के कारण नागपुर और जिला अस्पताल में भर्ती है, उन सभी का इलाज परासिया के एक निजी क्लीनिक में किया गया था। निजी क्लीनिक के चिकित्सक के इलाज के बाद ही सभी बच्चों की हालत बिगड़ी। ।जिन बच्चों की मौत हुई है, उनके परिजनों का कहना है कि बच्चे को बुखार, सर्दी एवं खांसी होने पर परासिया के एक निजी क्लीनिक में इलाज कराया गया था। जिसके बाद बच्चों का पेशाब रूक गया था। इलाज के लिए नागपुर ले जाने पर पता चला था कि किडनी इन्फेक्शन हुआ है। इन बच्चों के मौत का जिम्मेदार कौन। अगर इन्ही बच्चो का ईलाज किसी झोलाछाप डाँ के द्वारा किया जाता तो तत्काल  क्लीनिक सील करके डाँ पर  एफआईआर दर्ज हो चुकी होती। लेकिन यहा 11 बच्चों की मौत के बाद सिरप कंपनी और डाँक्टर मुकदमा कायम किया गया।शिशु रोग विशेषज्ञ होने के बाद दवाइयों के बारे मै कैसा अधूरा ज्ञान जिससे जिंदगी बचाने की अपेक्षा जिंदगी छीनी जा रही है। संयुक्त संचालक स्वास्थ्य जबलपुर के द्रारा डाँ प्रवीण सोनी शिशु रोग विशेषज्ञ सिविल अस्पताल परासिया पर निलंबन कार्यवाही कर आदेश जारी किया निलंबन अवधि क्षेत्रीय संयुक्त संचालक कार्यलय जबलपुर रहेगी। 

*10 दिनों से बंद है बच्चों का इलाज*

परासिया के जिस निजी क्लीनिक पर बच्चों के गलत इलाज का आरोप लगा है, उस क्लीनिक के चिकित्सक शिशु रोग विशेषज्ञ ने पिछले 10 दिनों से बच्चों का इलाज करना बंद कर दिया है। पता चला है कि क्लिनिक तो रोज खुलता है लेकिन कुछ नर्से बैठे हुए दिखाई देती है पर बच्चों का इलाज नहीं होता। इसलिए क्लिनिक पूरा सूना रहता है। वहीं चिकित्सक ने क्लीनिक के बाजू में स्थित अपना मेडिकल स्टोर भी पिछले 10 दिनों से बंद रखा हुआ है।

इन घटनाओं से सरकार को सबक लेते हुए शासकीय चिकित्सकों को निजि क्लीनिक और अस्पताल संचालन पर तत्काल पाबंदी लगाना चहिये

देखा जा रहा है जिला विकासखंड शहरों मै हर गली मौहल्ले पर शासकीय चिकित्सक का निजी क्लीनिक अस्पताल दिखाई देगा। जो अपने कर्तव्य निष्ठा से भटककर  अधिक लालच धन सम्पदा संग्रहण की चाहत में कर्मभूमि पर ईमानदारी के साथ कार्य नही कर रहे। सरकारी अस्पतालों के मरीजों को अपने निजी क्लीनिक में बुलाकर जांच ईलाज कर रहे हैं। वहा पहले सें खून पेशाब जांच करने वाला लैब का कर्मचारी मौजुद मिलेगा जो जांच के नाम पर कमीशन खोरी के चलते आधिक जांचे कराई जा रही है। जिससे मरीज की और जेब ढीली की जा रही है। सरकार के द्वारा मोटी रकम मासिक वेतन देने के बाद भगवान कहे जाने वाले डाँक्टरों का भंडार भर रहा न मन की शांति जब तक मरीज का धन  चूस न ले। सरकार सख्त सरकारी चिकित्सकों को निजी क्लीनिक अस्पताल पर पाबंदी लगाये।जिनको निजी क्लीनिक संचालन करना शासकीय सेवा से मुक्त होकर अपना निजी स्वास्थ व्यावसाय चलाने की व्यवस्था की जाये। जिस प्रकार एक शासकीय शिक्षण कोचिंग सेंटर स्कूल नही चला सकता ठीक इसी तर्ज पर स्वास्थ्य प्रबंधन पर पाबंदी लगाई जाई।

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