मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"संगीत माया से प्रदूषित काया को परिष्कृत करता है": प्रो. अमर सिंह
" जब मर्ज पर औषधि बेअसर होती है तब संगीत काम करता है": प्रो श्रीपाद आरोनकर
" संगीत में अव्यक्त को व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता होती है": डॉ. मृदुला शर्मा
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
श्री नारायण संगीत एवं कला महाविद्यालय बड़वन छिंदवाड़ा में संगीत के पुरोधा पं. विष्णु नारायण भातखण्डे की स्मृति में आयोजित हुई संगीत सभा में शासकीय महाविद्यालय चांद के प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि संगीत माया से प्रदूषित काया को परिष्कृत करने का जरिया है, इससे आत्मा पर जमीं धुंध साफ हो जाती है। स्वर को सभ्यता में बांधना ही संगीत है। जब शब्द मैदान छोड़ जाते हैं, तो संगीत मोर्चा संभाल लेता है। संगीत मानवता की भाषा बोलता है। संगीत वह सत्य है जो प्रत्येक क्षण में रंग भर देता है। संगीत प्रेम, करुणा व सभी मानवों के सहअस्तित्व को बरकरार रखने व हैवानियत से दूर रहने की अदा सिखाता है। कन्या महाविद्यालय छिंदवाड़ा में संगीत के विभागाध्यक्ष प्रो. श्रीपाद आरोनकर ने कहा कि जब औषधि से घाव भरना असंभव हो जाता है, तब सिर्फ संगीत काम करता है। संगीत पीड़ा पी जाता है। संगीत दुख भरी रात में चांदनी रूपी राहत है। संगीत मनुष्य को हैवानियत से बचाता है।
सृष्टि में जो कुछ भी सुंदर, वैभव व ऐश्वर्य से युक्त है उसे संगीत सीखकर ही प्राप्त किया जा सकता है। संस्था की प्राचार्य डॉ. मृदुला शर्मा ने कहा कि संगीत पूर्व में बहे आंसुओं के बेहद करीब होता है। संगीत में न जानने योग्य को अभिव्यक्त करने की दुर्लभ क्षमता होती है। राकेश राज ने कहा कि संगीत दर्द, द्वंद्व, तनाव और अवसाद से निजात दिलाने का माध्यम है। अमित सोनी ने कहा कि संगीत के संदेश सार्वभौमिक होते हैं। यह हमारे नर्वस सिस्टम को ठीक करता है। धर्मेंद्र विश्वकर्मा ने कहा कि संगीत की भाषा माधुर्य की भाषा होती है। संगीत कल्पना को उड़ान देता है, जिससे अपरिभाषित भी अभिव्यक्ति मिल जाती है। प्रशांत विश्वकर्मा ने सांगीतिक गतिविधियों को विधिवत संचालित किया। इस स्मृति समारोह में डॉ. श्रीपाद आरोनकर, पावनी बघेल, नमामि सोनी, अनादि सोनी, आरोही सनोडिया, आरती ढगे, अवनि सोनी, ऋषि चंदेल व अभिजीत भार्गव ने सांगीतिक अपनी प्रस्तुतियां दीं। व्यवस्था में सहयोग महाविद्यालय के उपस्थित छात्र छात्राओं ने दिया।

