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सिवनी जिले के छपारा वि.ख.में योग्य डिग्रीधारी बेरोज़गार – बिना डीएड/बीएड वालों की एंट्री, नियमों की खुली धज्जियां

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 सिवनी जिले के छपारा वि.ख.में योग्य डिग्रीधारी बेरोज़गार – बिना डीएड/बीएड वालों की एंट्री, नियमों की खुली धज्जियां 


छपारा // उग्र प्रभा 

सिवनी जिले के छपारा विकासखंड के गोरखपुर संकुल केंद्र के अंतर्गत आने वाले कई शासकीय शिक्षण संस्थानों में भारी अनियमितताएं उजागर हुई हैं। आरोप है कि शाला प्रभारियों और संकुल प्राचार्यों ने शासन के स्पष्ट नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेते नजदीकियों को अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया है।

जानकारी के अनुसार, जिन लोगों को अतिथि शिक्षक के रूप में रखा गया है, उनमें से कई के पास न तो डीएड, न डीएलएड, और न ही बीएड जैसी अनिवार्य शैक्षणिक डिग्रियां हैं। वहीं दूसरी ओर, डिग्रीधारी योग्य अभ्यर्थी भटकते हुए बेरोजगार घूम रहे हैं।

जब इस पूरे मामले पर सवाल उठाए गए तो शाला प्रभारियों और संकुल प्राचार्यों ने जवाब देने से साफ मना कर दिया। यहां तक कि उन्होंने खुद को बचाने के लिए सहायक आयुक्त के आदेश का हवाला भी दिया।ग्रामीणों और योग्य बेरोजगार अभ्यर्थियों का कहना है कि यह सीधा-सीधा योग्य उम्मीदवारों के हक पर डाका है और शासन के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।

*अब सवाल यह है कि* –

क्या शिक्षा विभाग इस गंभीर अनियमितता पर कार्रवाई करेगा?क्या डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को न्याय मिलेगा?या फिर चहेतों का खेल यूं ही चलता रहेगा?फिलहाल पूरा मामला चर्चा का विषय बना हुआ है और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।


शिक्षा के मंदिर में नेतागिरी का खेल – योग्य डिग्रीधारी बाहर, चहेते अंदर

सिवनी जिले के छपारा विकासखंड के गोरखपुर संकुल केंद्र में शिक्षा विभाग से जुड़ा बड़ा मामला सामने आया है। यहाँ प्रधान पाठक और शाला प्रभारियों ने शासन के नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को अतिथि शिक्षक बना दिया।चौंकाने वाली बात यह है कि जिन लोगों को स्कूलों में पढ़ाने बिठाया गया है, उनके पास न तो डीएड, न डीएलएड, और न ही बीएड की अनिवार्य डिग्री है। जबकि डिग्रीधारी योग्य अभ्यर्थी बेरोजगार घूम रहे हैं।

📹 कैमरे के सामने बोलने से बचते नज़र आए संकुल प्राचार्य

जब पूरे मामले पर संकुल प्राचार्य से कैमरे पर सवाल पूछे गए तो उन्होंने जवाब देने से साफ मना कर दिया।

🎙️ प्रधानाध्यापक का खुलासा

एक प्रधानाध्यापक से जब फोन में सवाल किया गया कि बिना डिग्री वाले लोगों को कैसे रखा गया, तो चौंकाने वाला जवाब मिला –

👉 “नेतागिरी के सोर्स से लोगों को रखा गया है।”

यह बयान अपने आप में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है।

📌 ग्रामीणों और योग्य उम्मीदवारों का कहना है कि यह सीधे-सीधे शासन के आदेशों का उल्लंघन और बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। वहीं, शिक्षा विभाग इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे बैठा है।

अब बड़ा सवाल यह है –

क्या शिक्षा विभाग इस घोटाले की जांच करेगा?क्या नेतागिरी से बचकर योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिलेगा?या फिर यह खेल ऐसे ही चलता रहेगा?फिलहाल छपारा ब्लॉक का यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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