मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
चांद कालेज में विश्व मानवतावादी दिवस पर व्याख्यान
"भारतीय संस्कृति की नींव मानवीय मूल्यों पर खड़ी है": प्रो. अमर सिंह
" भारतीय संस्कृति दुर्लभ मानव मूल्यों की विरासत है ": प्रो. सकरलाल बट्टी
"इंसानियत निर्माण हेतु सामंजस्य बैठाना ही भारतीय संस्कृति है ": प्रो अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में आयोजित विश्व मानवतावादी दिवस पर भारतीय संस्कृति की वसुधैव कुटुंबकम् की लोकहितैषी दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् की भारतीय संस्कृति संस्कृत से निसृत होकर सार्वभौमिक बंधुत्व की नींव पर खड़ी है। यह प्रेम, करुणा, परस्पर जिम्मेदारी व सहानुभूति से संपूर्ण वैश्विक मानवता को एक सूत्र में बांधती है। यह विभिन्न जाति धर्म, भाषा व भूषा के बावजूद स्वस्थ मानव मूल्यों से सौहार्द, परमार्थ व परहित के भाव को बढ़ावा देती है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि हमारी संस्कृति में ग्राह्यता, हृदय की विशालता व तालमेल बैठाने की भावनाएं संवेदनाओं को जन्म देती हैं। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि मनुष्यता के पोषक गुणों यथा सद्भावना, सद्गुण, सद्मार्ग के संदेश समुच्चय चिंतन से वैश्विक संस्कृति के लिए एक उल्लेखनीय योगदान है, जो कलुषित चित्त को परिमार्जित करते हैं। कार्यक्रम संयोजक प्रो. सकर लाल बट्टी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का भाव मानव अधिकार की एक सार्वभौमिक व्याख्या के केन्द्र बिन्दु हैं। इन्हीं विशेषताओं से मानवीय संदर्भ के उद्देश्यों को धरा पर समूची मानवता के लिए मानक बनकर उपादेय साबित हो रहे हैं। प्रो सुरेखा तेलकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति के केंद्रीय भाव में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाया का संदेश सार्वभौमिक है, इससे समूचे विश्व में एक सूत्र में बांधा जा सकता है।