मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"योग अंतस की अनंत गहराइयों में उतरने की संजीवनी है": दानसिंह ठाकुर
"योग शीर्ष संभावनाओं की प्राप्ति का आत्मानुसंधान है": प्रो. अमर सिंह
"योग कलयुग में ऋषि युग के सूत्रपात की सक्षम विधि है": प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा
उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में विश्व योग दिवस पर "योग भविष्य की सांस" विषय पर आयोजित व्याख्यान में चांद नगर परिषद के अध्यक्ष दान सिंह ठाकुर ने अपने वक्तव्य में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कार्मिक कौशल से चित्त वृत्ति निरोध युक्त मन ही योग है। योग अंतस की अनंत गहराइयों में प्रवेश करने की संजीवनी है। योग हर क्षण में उपस्थित होकर जीवन में सतत अभ्यास से आत्मिक विकास हेतु एकाग्रता, स्थिरता व संतुलन की स्थिति प्राप्त करने का हेतु है।
प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि योग वाह्य चीजों से हटकर भीतर की ओर मुड़ने का माध्यम है। योग स्वयं की संभावनाओं को शीर्ष पर ले जाने का आत्मानुसंधान है। योग दिवस समारोह संयोजक क्रीड़ाधिकारी प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि योग कलयुग में ऋषि युग के सूत्रपात की सक्षम विधि है। प्रो. लक्ष्मण उइके ने कहा कि योग शीर्ष नैतिक गांभीर्य से व्यष्टि से समष्टि में की ओर जाने की यात्रा है। प्रो. राजकुमार पहाड़े ने कहा कि योग से सत्य विस्तार पाता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि योग अंदर के रावण को वाह्य निकालने का रामकर्म है। आनंद रजक ने कहा कि जो लाइलाज है, उसका शर्तिया इलाज योग में है। छात्र छोटू साहू ने कहा कि योग तरक्की की आंधी में हैरान बैचेन आदमी की खता की दवा है।