मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
शासकीय महाविद्यालय चांद में अहिल्याबाई होलकर के व्यक्तित्व पर व्याख्यान
"अहिल्याबाई वैधव्य निराशा से परे लोकहित की शासिका थीं ": प्रो. अमर सिंह
"अहिल्याबाई ने दुर्बलों के लिए खजाना खोलने की मिसाल पेश की है": प्रो. अमर सिंह
"अहिल्याबाई ने नारी गरिमा को उत्कृष्टता प्रदान की है ": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में मालवा इंदौर राजवंश की कुलशिरोमणि शासिका, रानियों में देवी, वीरांगना महारानी अहिल्याबाई होलकर की तीन सौवीं जयंती के उपलक्ष में आयोजित व्याख्यान में प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई ने अपने वैधव्य में सती न होकर शासिका बनकर लोकसेवा का जो व्रत लिया है, वह ऐतिहासिक है। अहिल्याबाई ने अपने राजकोष का प्रयोग दुर्बलों के कल्याणार्थ करके भारतीय राजनीति में एक मिसाल कायम की है। उनके साहसपूर्ण लोकहित के कार्यों ने नारी सशक्तीकरण की गरिमा को उत्कृष्ट ऊंचाइयां प्रदान की हैं। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि अहिल्याबाई का नाम भारतीय राजनैतिक इतिहास में अपने दुर्लभ लोकतांत्रिक कार्यों के कारण श्रद्धा से लिया जाता है क्योंकि वे शासनकला में पारंगत एवं असाधारण प्रशासनिक दक्षताओं से परिपूर्ण थीं। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने अहिल्याबाई होलकर को मालवा साम्राज्य की महान दूरदर्शी, दार्शनिक सामाज्ञी, समतामूलक व न्यायाधारित सामाजिक विकास की शासिका कहा जिनके योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेंगे। प्रो. राजकुमार पहाड़े ने अहिल्याबाई को धर्म, संस्कृति, जनसेवा, सुशासन व राजधर्म पालन की पर्याय कहकर उनको उदार व कठोर व्यक्तित्व की संतुलित महिला शासिका कहा। प्रो. सकरलाल बट्टी ने अहिल्याबाई को सामाजिक समरसता की स्थापना हेतु मूल्यों व आदर्शों को अपने नेतृत्व कौशल में समाहित करने वाली शासिका कहा। प्रो. लक्ष्मण उइके ने अहिल्याबाई को प्रशासनिक निपुणता, विकसित सोच व संस्कृति की संरक्षिका की शासिका कहकर उनके ऐतिहासिक योगदानों का उल्लेख किया।
प्रो. सुरेखा तेलकर ने अहिल्याबाई को संत, कवि एवं धार्मिक संस्थानों की विरासत की संरक्षिका बताते हुए पितृसत्तात्मक समाज की सफल महिला शासिका कहा। प्रो. रक्षा उपश्याम ने अहिल्याबाई को भारतीय राजनीति को बहुआयामी उन्नयन प्रदान करने वाली, भवन निर्माण कला की कुशल सामाज्ञी एवं मातृत्व शक्ति से ओतप्रोत रानियों में देवी का दर्जा हासिल कर लेने वाली महिला शासिका कहा। संतोष अमोडिया ने अहिल्याबाई होलकर को स्थाई आर्थिक विकास, अभूतपूर्व बहादुरी और परोपकारी हित संरक्षण का पर्याय कहा। इस दौरान अहिल्याबाई होलकर के विशिष्ट योगदान से संबंधित प्रश्नमंच, निबंध और परिचर्चा का आयोजन भी किया गया।