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राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय द्वारा ब्रेन स्टोर्मिंग कार्यशाला का आयोजन

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          मोहिता जगदेव

   उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

"कर्मयोगी काया में सार्वभौमिक सत्य को महसूस करता है ": प्रो. इंद्रप्रसाद त्रिपाठी कुलगुरु 

"कर्मयोगी चेतना को सर्वोच्च शिखर पर स्थित कर सामर्थ्य जगाता है " डॉ. वैभव महाराज 

"अस्थिर मन को नियंत्रित करने का जरिया ही कर्मयोग है ": प्रो. गीतेश पटले 

" कर्म का संपादन कर्ता में सच्ची आजादी महसूस कराता है: " प्रो. लक्ष्मीकांत चंदेला 

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा द्वारा अपने अधीनस्थ प्राचार्यों, प्राध्यापकों और छात्रों को अकादमिक चुनौतियों के समाधान हेतु कर्मयोगी बनने हेतु ब्रेस्टोर्मिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य वक्ता बतौर बोलते हुए बालाघाट कालेज के दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक प्रो. गीतेश पटले ने कहा कि ब्रेनस्टोर्मिंग किसी लक्षित विषय पर बुद्धिशीलता से मंथन करके चुनौतियों के समाधान के लिए नवीन विचारों के जन्म को कहते हैं। अस्थिर मन को नियंत्रित करने का जरिया ही कर्मयोग है। हम सभी कर्म के लिए ब्रह्मा की तरफ से नियुक्त हैं। कर्मयोग स्वयं में संन्यास का मार्ग है। प्राचीन श्रीगणेश पीठ बिछुआ से पधारे डॉ. वैभव महाराज ने कहा कि कर्मयोगी चेतना को सर्वोच्च शिखर पर स्थित कर सामर्थ्य जगाता है। कर्म में आनंद लिए बिना जीवन में ऊंची छलांग नहीं लगाई जा सकती है। इस अवसर पर कुलगुरु प्रो. इंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने अपनेअध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कर्मयोगी काया में सार्वभौमिक सत्य को महसूस करता है। कर्म अवसरों को अस्तित्व में लाने का जरिया बनते हैं।

विशिष्ट अतिथि रीवा विश्वविद्यालय के हिंदी के प्राध्यापक प्रो. लक्ष्मीकांत चंदेला ने कहा कि निष्काम कर्म जब बिना साख लिए किए जाते हैं तो लोक कल्याण होता है। कर्म का संपादन कर्ता में सच्ची आजादी महसूस कराता है। पी. जी. कॉलेज प्राचार्य प्रो. वाय के शर्मा ने कहा कि कर्मनिष्ठा को जब स्वभाव में उतार लिया जाता है तो उत्कृष्ट चरित्र का निर्माण होता है। कुलसचिव प्रो. युवराज पाटिल ने कहा कि लालसा त्यागकर किए कर्म लोककल्याणकारी होते हैं, जो सामाजिक समरसता स्थापित करते हैं। परीक्षा नियंत्रक प्रो. डी. आर. उइके ने कहा कि पारदर्शी विचारधारा से निकले कर्म जब कार्मिक कुशलता से किए जाते हैं तो विजय उस तरफ अवश्य चली जाती है। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. जे. के. वाहने ने कहा कि विशिष्ट कर्म जब आचरण में उतरता है तो सौभाग्यशाली प्रतिफल स्वतः उसके पीछे चले आते हैं।

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