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भाषा और संस्कृति एक दूसरे की पूरक हैं : डॉ . एस.व्ही.के.सिंह

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       मोहिता जगदेव 

  उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

मातृभाषा हमें अपनी संस्कृति से जुड़े रहने में मदद करती है और हमारी पहचान को कायम रखती है : डॉ. एस.व्ही.के सिंह 

भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक एवं उपनिषद काल का अध्ययन करके हम अपने व्यक्तित्व एवं चरित्र का निर्माण कर सकते हैं :प्रो अमिता ब्यौहार 

मातृभाषा को बढ़ावा देना ही अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना है :डॉ.ज्योति ब्रह्मे

उग्र प्रभा समाचार, परासिया : शासकीय पेंचव्हेली पीजी कॉलेज परासिया में भारतीय ज्ञान परंपरा एवं हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में  भारतीय भाषा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा पर कार्यक्रम आयोजित किया गया । महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. एस.व्ही.के सिंह ने कहा भाषा और संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं, मातृभाषा हमें अपनी संस्कृति से जुड़े रहने में मदद करती है और हमारी पहचान को कायम रखती है । हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो.अमिता ब्यौहार ने कहा भारतीय ज्ञान परंपरा अत्यंत प्राचीन एवं समृद्ध शाली परंपरा है ।भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक एवं उपनिषद काल का अध्ययन करके हम अपने व्यक्तित्व एवं चरित्र का निर्माण कर सकते हैं ।

डाॅ ख्याति सोनी ने अपने उद्बोधन में कहा भारतीय ज्ञान परंपरा का आधार वेद , उपनिषद ,रामायण , महाभारत हैं मातृभाषा का संबंध अपनी मां से होता है जिस प्रकार हम अपनी मां से जीवन पर्यंत जुड़े रहते हैं इसी प्रकार व्यक्ति अपनी मातृभाषा से जीवन पर्यंत जुड़ा रहता है । भारतीय ज्ञान परंपरा के संयोजक डॉ.ज्योति ब्रह्मे ने कहा  मातृभाषा को बढ़ावा देना ही अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना है घर में अपने परिवार के साथ अपनी मातृभाषा, अपनी बोली में बातचीत करें जिससे मातृभाषा को बढ़ावा मिलेगा और हम अपनी संस्कृति से जुड़े रह सकते हैं ।इस कार्यक्रम में डॉ.योगेश अहिरवार प्रो. भगवत राव कराडे डॉ.नर्मदा लाजवंशी एवं श्रीमती नीतू डेहारिया एवं महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं छात्र  छात्राएं उपस्थित रहे ।

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