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"भव्य भारत की भूमि मातृभाषा से हरी भरी रह सकती है": प्रो. सिंह

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        मोहिता जगदेव

   उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

चांद कालेज में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोह आयोजित 

"मातृभाषा का अविरल प्रवाह सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक है": प्रो. सिंह 

मातृभाषा में ज्ञान पाकर आत्मगौरव बढ़ाने की अकूत शक्ति होती है :प्रो रक्षा उपश्याम

"भव्य भारत की भूमि मातृभाषा से हरी भरी रह सकती है": प्रो. सिंह 

उग्र प्रभा समाचार, चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद के राष्ट्रीय सेवा योजना स्वामी विवेकानन्द कैरियर मार्गदर्शन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित व्याख्यान में प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि मातृभाषा का अविरल प्रवाह सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक होता है। भव्य भारत की भूमि मातृभाषा से हरी भरी रह सकती है। उर में उगे मातृभाषा के अनुराग के अंकुर से राष्ट्र पनपता है। मातृभाषा का अविरल प्रवाह सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक है। बिना मातृभाषा के राष्ट्र गूंगा होता है। मातृभाषा किसी भी राष्ट्र की चेतना सामर्थ्य की जननी होती है, जो समावेशी विकास हेतु उत्प्रेरक का काम करती है। मातृभाषा राष्ट्र के संज्ञानात्मक पुनर्जागृति की धुरी होती है, जिसके बिना उस देश के लोग सिर उठाकर नहीं चल सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भाषाओं के प्रति लगाव में वृद्धि, संरक्षण, भाषा वैविध्य को प्रोत्साहन और संस्कृति से जोड़े रखने जैसा दुर्लभ कार्य करती है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि मातृभाषा मनुष्य का ऐसा अंग होती है, जो दिखाई नहीं देता है किन्तु उससे मनुष्य का सब कुछ दिख जाता है। मातृभाषा अपने बोलने वाले की पहचान बनाए रखती है। प्रो. जी. एल.  विश्वकर्मा ने कहा कि स्थाई समाज के लिए सांस्कृतिक व भाषाई विविधता बहुत जरूरी है। मातृभाषा अल्पायु में जिज्ञासा जगाने का काम करती है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रजा का असली प्रजातांत्रिक स्वराज वहां के वाशिंदों की मातृभाषा में ही होना चाहिए। प्रो संतोष उसरेठे ने कहा कि मातृभाषा में हृदय से हृदय की भाषा में बोलने से गुणवत्तापूर्ण न्याय मिलने की अधिक संभावना रहती है। प्रो . सुरेखा तेलकर ने कहा कि मातृभाषा सरलता, बोधगम्यता और मानसिक शक्तियों के विकास की द्योतक होती है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि मातृभाषा में ज्ञान पाकर आत्मगौरव बढ़ाने की अकूत शक्ति होती है।

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