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दृष्टि से सृष्टि निर्माण पर कार्यशाला का आयोजन

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           मोहिता जगदेव

     उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

"युवा रील लाइफ को छोड़ रियल लाइफ को गढ़ें ": प्रो. यादव 

" मां बाप की उम्मीदों पर पानी फेरना जघन्य पाप है "; प्रो. यादव 

 लक्ष्य प्राप्ति की जिद, संकल्प, लगन, समर्पण, त्याग, अभिरुचि और निष्ठा हमें मंजिल के करीब लाते हैं : डाॅ अमर सिंह

"बिना शारीरिक व मानसिक  सुदृढ़ता के जीवन निरर्थक है ": प्रो. यादव 

उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद के व्यक्तित्व विकास विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भारतीय ज्ञान परंपरा में दृष्टि से सृष्टि निर्माण विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि बतौर बोलते हुए शासकीय महाविद्यालय बिछुआ के प्राचार्य डॉ. आर. पी. यादव ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि बिना शारीरिक, मानसिक और वैचारिक सुदृढ़ता के किसी भी विशेष उपलब्धि के कल्पना करना भी बेकार है। युवा रील लाइफ से बाहर निकलकर रियल लाइफ के अनुसार स्वयं को गढ़ें। महज ख्वाबों में खोए रहना गंभीर मनोरोग का लक्षण है। मां बाप ने जिन उम्मीदों से छात्रों को कालेज भेजा है, उन पर पानी न फिरने दें। जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए तब तक, चैन से बैठना पाप है। जब हमारी योग्यता बढ़ती है तो बाकी की चीजें स्वतः हमारे पास आ जाती हैं। खुद को मजबूत बनाने के लिए परिश्रम खुद को करना पड़ेगा, यह काम हमारे लिए कोई और नहीं कर सकता है। कार्य क्षेत्र कोई भी क्यों न हो, हमें योद्धा की तरह जूझकर ही सफलता मिल सकती है। प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति की जिद, संकल्प, लगन, समर्पण, त्याग, अभिरुचि और निष्ठा हमें मंजिल के करीब लाते हैं।

प्रो . रजनी कवरेती ने कहा कि मंजिल परिश्रम का समर्पण मांगती है, बहाने बनाना नहीं। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि अपने मन को काबू में करके ऊर्जा को अपने उद्देश्य प्राप्ति हेतु रचनात्मक कार्य में लगाना ही जीत के करीब जाना है। व्यक्तित्व विकास प्रभारी डॉ. आर. के. पहाड़े ने कहा कि छात्र जीवन चेतना के स्तर को अधिकतम उर्ध्वगामी बनाने से है। कोई भी परिश्रम कभी भी निष्फल नहीं होता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि गीता दर्शन के अनुसार हर कर्म अपना फल लेकर अवश्य आता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि बिना पारदर्शी योजना के काम करते रहना महज वक्त की बर्बादी ही होती है। प्रो. संतोष उसरेठे ने कहा कि हर सफलता की एक पूर्व योग्यता  होती है जिसके बिना सिर्फ हार ही हाथ लगती है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि जब तक हमारा चिंतन समाधानमूलक नहीं होगा, तब तक हमारी ऊर्जा समस्यामूलक चीजों पर खर्च होती रहेगी।

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