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प्रतिस्पर्धा व्यक्ति को स्वयं से परिचय कराती है": प्रो अमर सिंह

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        मोहिता जगदेव

  उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

चांद कालेज में युवा उत्सव की विधाओं का भव्य समापन

"जहां शब्द मैदान छोड़ते हैं,वहां संगीत मोर्चा संभालता है":  प्रो. रजनी कवरेती 

"जिस घाव को दवा न भरे, संगीत उसकी जिम्मेदारी लेता है": प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा 

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद छिंदवाड़ा में युवा उत्सव की संगीत की विधाओं के समापन अवसर पर बोलते हुए पर बोलते हुए प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने छात्रों को विभिन्न विधाओं में अभिरुचि दिखाने के लिए आशीर्वचन देते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धा व्यक्ति को स्वयं से परिचय कराती है। युवा वही है जिसमें लक्ष्यपरकता , दक्षता और महक आती हो। छात्रों को अपनी नैसर्गिक प्रतिभा को निखारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़नी चाहिए। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि जहां शब्द मैदान छोड़ते हैं, वहां संगीत मोर्चा संभालता है। छात्र निरंतर अभ्यास से उत्कृष्ट प्रतिभा अर्जित कर सकते हैं। जीता खिलाड़ी हार पहनता है, हारा हुआ भविष्य के लिए जीतने का संकल्प करता है

प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि जिस घाव को दवा न भरे, संगीत उसकी जिम्मेदारी लेता है। जिस दर्द को कोई शरण न दे, संगीत उसे आंचल में बैठा लेता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि संगीत आत्मा पर जमी धूल को साफ करता है। संगीत पीड़ा से जन्मता है और जादुई उपचार भी करता है। संगीत से जिसका नाता टूटा, वह ज्यादा नहीं चलता है। प्रो. राजकुमार पहाड़े ने कहा कि संगीत पत्थर को पिघला सकता है। संगीत वह अकेला सत्य है जो अव्यक्त को व्यक्त करता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि युवा उत्सव युवाओं को सफल नागरिक बनने की दिशा प्रदान करते हैं। संगीत नीरवता की भाषा बोलता है। गाने वाले के पास बुराइयां नजदीक नहीं आती हैं। प्रो . सन्तोष उसरेठे ने कहा कि संगीत माधुर्य की कविता है, दिमाक की कल्पना है और ब्रह्मांड की आत्मा है। संगीत के बहाव को रोकना वक्त को रोकने जैसा अकल्पनीय, अविश्वसनीय है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि कोई भी कितना मूढ़ क्यों न हो, संगीत को अवश्य महसूस करता है। दुख के युद्ध के विरुद्ध संगीत सबसे सशक्त हथियार है।

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