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विश्वविद्यालय स्तरीय युवा उत्सव में सांगीतिक और रूपांकन की विधाएं सम्पन्न

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           मोहिता जगदेव

     उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

 संगीत में लय, ताल व स्वर मानव का प्रकृति से सामंजस्य बैठाते हैं": जूली सिंघई 

"संगीत विश्व की प्रतिनिधि आत्मा की आवाज है": गीतांजलि मिश्रा 

" संपूर्ण शरीर को विशुद्ध बनाने में कलाओं की महती भूमिका है ": मनोज मिश्रा 

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा की युवा उत्सव की विश्वविद्यालय स्तर की शासकीय विधि महाविद्यालय छिंदवाड़ा में आयोजित दूसरे दिन सांगीतिक और रूपांकन की विधाएं सम्पन्न हुई। समारोह को संबोधित करते निर्णायक श्रीमती जूली सिंघई शांडिल्य ने कहा कि संगीत में लय, ताल और स्वर मानव का प्रकृति से सामंजस्य बैठाते हैं। गीतांजलि मिश्रा ने कहा कि संगीत विश्व की प्रतिनिधि आत्मा की दिव्य आवाज है, जिससे पत्थर हृदय भी पिघल जाता है। मुंबई से पधारे निर्णायक मनोज मिश्रा ने कहा कि कलुषित शरीर को विशुद्ध बनाने में कलाओं की महती भूमिका है। निर्णायक विजयानंद दुबे ने कहा कि मंचीय प्रस्तुति में नाटकीयता चमत्कारी प्रभाव छोड़ती है।

निर्णायक रोहित रूसिया ने कहा कि पोस्टर पर उकेरे चित्र धरा की विविधता, जीवंतता और बहुरूपता के प्रतीक हैं। चित्रकार शांतनु पाठक ने कहा कि कलाएं मनुष्य को अपने परिवेश से जोड़कर उसको बेहतर बनाने का अवसर देती हैं। किसी भी कलात्मक विधा में महारत हासिल सिर्फ अभ्यास से होती है। निर्णायक बसंत पाटकर ने कहा कि हम जो शब्दों में बयां नहीं कर पाते हैं वह कला के माध्यम से कह दिया जाता है। समारोह में मंच संचालन की महती भूमिका का निर्वहन श्रीमती गीतांजलि गीत ने किया। समारोह को अपनी उपस्थिति से गरिमामय बनाने में अभाविप संगठन से सत्यम मानिकपुरी, विश्वविद्यालय कार्य परिषद सदस्य तरुन किंद्रा व श्रीमती पीतांबरी गोनेकर की महती भूमिका रही।

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