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अनुसूचित जाति जनजातीय छात्रावासों में अन्य वर्गों के अधीक्षक अधीक्षिका बनकर बैठे एसटी एससी शिक्षकों का शोषण

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 अनुसूचित जाति जनजातीय छात्रावासों में अन्य वर्गों के अधीक्षक अधीक्षिका बनकर बैठे एसटी एससी शिक्षकों का शोषण  

नीलेश डेहरिया संपादक 

हर्रई //छिंदवाड़ा //उग्र प्रभा //देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आदिवासी पिछड़ी जनजाति के हितों के लिए पीएम जन मन कार्यक्रम चलाया जा रहा है आदिवासियों को सामान हक अधिकार मिले लेकिन सरकारी विभागों में अनुसूचित जाति जनजाति के कर्मचारियों का हक मारा जा  रहा हैं। आदिमजाति एवं जनजाति विभाग के द्वारा संचालित बालक कन्या छात्रावासों में एसटी एससी शिक्षकों की अपेक्षा राजनीतिक प्रतिष्ठा धनवल के सहयोग से अन्य वर्गों के शिक्षक अधीक्षक अधीक्षिका बनकर बैठे है। आदिवासी दलित समुदाय के छात्रों की व्यथा आदिवासी दलित अधीक्षक अधीक्षिका ही समझ सकती है लेकिन समानता का अधिकार समाप्त होते नजर आ रहा। जिले में हजारो एसटी एससी वर्ग के शिक्षक शिक्षिका पदस्थ होंगे लेकिन एसटी एससी छात्रावास में अन्य वर्ग के शिक्षक अधीक्षक अधीक्षिका बनकर इन वर्गो का हक मार रहे हैं। सामान्य ओबीसी वर्ग के छात्रावासो में कही एसटी एससी वर्ग का अधीक्षक अधीक्षिका देखने को नही मिलेगी।शासन कितना भी एसटी एससी के हक की बात करे लेकिन सरकार की आढ में शिक्षा से कोशो दूर अनभिज्ञ नेता छोटे भैया पैसो के लोभ लालच कमीशन महीना का भत्ता सेटअप करके अपने लोगो को अधीक्षक अधीक्षिका का प्रभार दिलाया जा रहा है आदिवासी दलित शिक्षको का हक मारा जा रहा है। 

किसकी पनाह में अधीक्षक अधीक्षिका का प्रभार तबादला का खेल हो रहा है

मध्यप्रदेश सरकार नें गरीब निर्धन असहाय मजदूर वर्ग के बच्चो को बेहतर शिक्षा देने के उदेश्य सें शिक्षकों की भर्ती करती शिक्षण कार्य के बदले महीने में मोटी तन्खा देती सरकार लेकिन शिक्षक पद की शपथ लेते ही भूल जाते हैं हम जिसकी रोटी खा रहे हैं जिसके कारण परिवार चल रहा है खुद के बच्चो को महंगे अच्छे स्कूलों में  दखिला कराते हैं जिन बच्चों के कारण ऐ सब कर पा रहे  उन आदिवासी दलित पिछड़ो मजदूर गरीब के बच्चों का भविष्य खत्म कर अपनी सुविधानुसार और तन्खा के अलावा अलग सें कमाई करने के उद्देश्य से अधीक्षक अधीक्षिका बनने की होड़ लगी हुई है पति पत्नी दम्पति मूल पद शिक्षक शिक्षिका होने के बाद शिक्षा के दुश्मन नोटो के दोस्तों ने कारखाना खोल रखा है मोटी रकम लाओ और अधीक्षक बनो हर महीना कमीशन भेजो बात पर डील कर जनजातीय विभाग सें अधीक्षक अधीक्षिका का प्रभार दिलाया जा रहा है। कब तक होगा एसटी एससी वर्ग का शोषण अमरवाडा विधानसभा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद किसके पनाह में कौन चला रहा है प्रभार का धंधा। जागो जनजाति जागो मूल निवासी अपने हक के लिए लडो और दिखा दो अपनी एकता

उत्कृष्ट छात्रावास हर्रई में दलित शिक्षक को अधीक्षक का प्रभार मिलने के बाद 2 माह के भीतर हटा दिया गया

अभी हाल ही में हर्रई उत्कृष्ट छात्रावास में एक दलित शिक्षक को छात्रावास अधीक्षक का प्रभार मिला था लेकिन किसकी पनाह में दलित अधीक्षक को हटाकर दुसरे शिक्षक को प्रभार दिया गया है जिनकी पत्नी पहले से अधीक्षिका हर्रई में है अब आप कल्पना करिये मूल पद शिक्षक का होने के बाद मलाई खाने की नियत से पति पत्नी एक ही नगर में अधीक्षक अधीक्षिका बनकर बैठे हैं आदिवासी विकासखंडो में भी हो रहा है जनजातीय और दलित भाईयो के साथ भेदभाव

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