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13 अगस्त को भोपाल में औद्योगपति महिलाओ का सम्मेलन, दबी कुचली समाज की महिलाओ को प्रेरणा जरूर देगा

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 13 अगस्त को भोपाल में औद्योगपति महिलाओ का सम्मेलन, दबी कुचली समाज की महिलाओ को प्रेरणा जरूर देगा 


लेख- प्रकाशन

पब्लिकेशन - प्रकाशक उग्र प्रभा 

लेखक- मयंक डहेरिया वरिष्ठ पत्रकार इंदौर 

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मध्यप्रदेश की मोहन सरकार 13 अगस्त को एक ऐसा सम्मेलन करने जा रही है। जिसमें प्रदेश की वो सभी महिलाओ को आमंत्रण कर रही है। जो आज एक सफल औद्योगपति बन कर उभरी हैं। जिनकी खुदकी एक चमकती हुई पहचान है। इन महिलाओ ने अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों में विकास के खंबे गाडे हैं। 

दूसरी तरफ प्रदेश मेें ऐसे कुछ दबे कुचले समाज की महिलाएं है जिनकी पहचान केवल समाज के अंदर शादी-विवाह,समाज के परिचय सम्मेलन और स्वयं के समाजिक पद प्रतिष्ठा तक सिमट कर रह गई है। जो इस औद्योगिक विकास डिजिटल  दुनिया से बहुत दूर हैं।

हैरानी की बात है कि भोपाल में हो रहे महिला औद्योगपति सम्मेलन में शायद ही कोई निम्न वर्ग की महिला इस दौड में शामिल होगी। कारण भी स्पष्ट नजर आता है। क्योंकि कोई निम्न वर्ग समाज केवल अपने समाज सम्मेलन तक ही सिमटा हुआ है। इससे बाहर कि कभी ना कोई चर्चा होती है। और ना जमाने की प्रतिस्पर्धा की दौड में वो शामिल हो पाते हैं। और ना ही वो उन महिलाओ की तरह सपने बुनते हैं । देखा जाए तो हाल के वर्षों में सरकारी और गैर सरकारी  ऋण देने वाले संस्थान के उदय ने महिलाओं के लिए न्यूनतम प्रतीक्षा समय के साथ व्यावसायिक ऋण देना बहुत आसान बना दिया है।

मध्यप्रदेश में महिला उद्यमियों के स्टार्टअप्स हर क्षेत्र में अपनी अलग छाप छोड़ रहे हैं। जो महिलाएं अवसर  वादी थी उन्होंने इसका पूरा पूरा फ़ायदा उठाया है। फ़ालतू के कामों अपना समय नही गवाया। यही वजह है कि आज उन्हे सम्मान पूर्वक भोपाल बुलाया गया। बडे सम्मानपूर्वक औद्योगिक पुरस्कार भी दिए जाऐंगे। 

प्रदेश में 3218 से अधिक स्टार्टअप्स हैं जिनमें 1456 महिलाओं द्वारा संचालित हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम महिलाओं के स्वामित्व में हैं। यह बात सभी जानते हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश का लगभग 45 प्रतिशत स्टार्ट-अप तंत्र महिलाओं द्वारा संचालित हैं। बड़े ही खुशी की बात है। मध्यप्रदेश का उद्यमशीलता परिदृश्य स्पष्ट रूप से बदलाव के दौर से गुजर रहा है,जो प्रदेश के भीतर रहने वाली महिलाओं की क्षमता और दृढ़ संकल्प को लगातार उजागर कर रहा है। और रही सही कसर भी अब मुख्य मंत्री सम्मेलन में पूरी हो जाऐगी। हो सकता इन महिलाओ मेें किसी को एयर जेट का लाइसेंस लेना हो या फिर किसी को पानी के जहाज की ट्रांसपोर्टिंग की परमिशन अब वो जरूरता भी प्रदेश सरकार पूरी कर देगी। और प्रदेश में हो रहे औद्योगपति महिलाओ का सम्मेलन ही इस बात का दाबा करता है कि उन्हें अब वो सारी सुविधाएं देनी ही पड़ेगी। क्योंकि औद्योगिक विकास के इस सफर में वो अपने बलबूते पर यहां तक पहुंच गई हैं। इस लिए अब इन्हें और आगे बढ़ाना ही होगा। और वो इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि बात देश के प्रधान मंत्री मोदी तक भी पहुंच गई है। 

इसलिए प्रदेश सरकार को उन्हें आगे बढ़ाना और भी जरूरी हो जाता है।

 ताकी ये विकासशील महिलाएं उन सभी के लिए उदाहरण बन सकें जो कही अटकी पड़ी हैं । जमीनी स्तर से उभर रहे आंकड़ों से पता चलता है कि आने वाले दशकों में मध्यप्रदेश की महिलाओं के वर्चस्व के साथ-साथ देश के भविष्य को आकार देने के साथ परिवर्तन की एक और लहर देखने को मिलेगी। सरकार ने महिलाओ के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में स्थान सुरक्षित रखा है। धार जिले के पीथमपुर में नए सेक्टर सात में देश में पहला महिला इंडस्ट्रीयल पार्क तैयार होकर एक बार फिर मध्यप्रदेश का इतिहास रचेगा। इस पार्क में केवल महिला उद्यमियों को ही उद्योग के लिए जगह आवंटित की जाएगी। इसके लिए प्रदेश की कोई भी महिला उद्यमी आवेदन भर सकती है। दो हजार एकड़ में सेक्टर सात को पूरी तरह से तैयार किया गया है।

सड़क, बिजली, पानी, ड्रेनेज जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं के लिए 550 करोड़ के टेंडर को जारी कर दिया गया है। जिससे की पूरे क्षेत्र का विकास कार्य शुरू हो जाएगा। मध्यप्रदेश इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कार्पोशन की ओर से इस पूरे काम को किया जाएगा। यह पहला ऐसा प्रोजक्ट है, जिसमें उद्योगों के लिए इतनी बड़ी मात्रा में जमीन किसानों से अधिग्रहित की गई है। और वो केवल महिलाओ के लिए वही इसमें उद्योग लगने के बाद भी इसके भरसक प्रयास किए जाएंगे कि महिलाओं को ही अधिक से अधिक रोजगार दिया जाए। अब सवाल यह उठता है कि समाज की एक ओर वो महिलाएं होगी जो बड़ी बड़ी बिज़नेस कंपनियो से हाथ मिलाकर देश और दुनिया में अपनी छाप छोड़ेंगी। और दूसरी तरफ वो महिलाएं भी हैं। जो केवल छोटी छोटी सीमित और केवल स्वयं के समाज तक ही सिमट कर रह गईं । अब उन्हें भी आगे आने की जरूरत है। उन्हें समाज को आगे बढ़ाने के लिए समाज की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहिए। उन्हें इस बात से परजे नही करना चाहिए कि समाज की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी तो समाज खुद अपना उज्जवल भविष्य गढ़ लेगा। 

समय भी यही कहता कि परिवर्तन प्रत्येक दबे कुचले समाज के लिए जरूरी है। लेकिन जो भी हो इन सफल महिला औद्योगिपतियों के इस सम्मेलन से उन सभी निम्न वर्ग और कमज़ोर समाज को प्रेरणा लेकर  सीखने की जरूरत है। "तभी तो बढ़ेगा इंडिया ▪️▪️▪️

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