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जयपुर एक्सप्रेस हत्याकांड को हर कोई दे रहा है सांप्रदायिक रंग, लेकिन अब जातिगत एंगल सामने आया, जानिए क्या है पूरा सच

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जयपुर हत्याकांड में सामने आया जातिगत एंगल, हिंदू-मुस्लिम एंगल के जरिए आदिवासियों पर अत्याचार वाली मानसिकता छुपाने का एजेंडा 

हिंदू मुस्लिम से बढ़कर है जयपुर एक्सप्रेस हत्याकांड, एएसआई को आदिवासी होने के कारण मारी गई गोली

जयपुर एक्सप्रेस हत्याकांड: एएसआई आदिवासी था इसलिए जवान ने मारी गोली, अब सांप्रदायिकता का रंग देकर इस कुंठित मानसिकता को छुपाने का एजेंडा

उग्र प्रभा समाचार - मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में दलित और आदिवासियों पर अत्याचार के मामले थम नहीं रहे हैं, इस बीच जयपुर एक्सप्रेस हत्याकांड में हुए खुलासे ने सभी का ध्यान इस ओर खींच लिया है।जयपुर एक्सप्रेस हत्याकांड को कई लोग सीधे-सीधे मुसलमानों पर हमला बता रहे हैं। सांप्रदायिक रंग देकर केवल हत्याकांड के पीछे का मुख्य काँग्रेसरण, जातिवादी कुंठित मानसिकता को छुपाने की साजिश की जा रही है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को तो आरोपी जवान ने बाद में निशाना बनाया, उसकी पहली तीन गोलियां खाने वाले तो आदिवासी समुदाय से जुड़े एएसआई टीकाराम मीणा थे। बताया जा रहा है कि गोली चलाने वाला आरपीएफ का जवान चेतन सिंह इस बात से खफा था कि एएसआई टीकाराम मीणा जो आदिवासी समुदाय से थे, वो उससे ऊपरी ओहदे में बैठे हुए थे। ऐसे में चेतन को एएसआई मीणा से ऑर्डर लेना भी अच्छा नहीं लगता था।इसी कड़ी में जब उसने बीमारी की बात कह कर छुट्टी मांगी और मीणा ने इनकार कर दिया तो उससे रहा नहीं गया। गुस्साए आरपीएफ जवान ने एएसआई मीणा पर तीन गोलियां दाग दी। वारदात के चश्मदीद कॉन्स्टेबल ने बताया कि मीणा ने चेतन को समझाया। उसे कोल्ड-ड्रिंक पिलाकर शांत भी करने की कोशिश की, लेकिन आरोपी के सिर पर जातिवाद का ऐसा भूत सवार था कि उसने हर बात नज़रअंदाज करते हुए मीणा पर अपना गुस्सा निकाल दिया। बता दें, बुधवार को हुए हत्याकांड में आरोपी आरपीएफ जवान ने एक एएसआई समेत 3 मुस्लिम यात्रियों को गोली मार दी थी। जातिगत एंगल को छुपाने के लिए ही इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।

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