संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा
"साक्षात्कार में धोखा, धौंस, झांसा, बेवकूफ, बहाना बनाना कारगर नहीं होते हैं": प्रो. सिंह
"साक्षात्कार सीखे ज्ञान का व्यावहारिक प्रस्तुतीकरण होता है ": प्रो. सिंह
"अल्पज्ञता को बहुज्ञता में बदलना साक्षात्कार की कुंजी है": प्रो. सिंह
" साक्षात्कार कमजोरी छिपाने व काबिलियत दिखाने की परीक्षा है:" प्रो. सिंह
उग्र प्रभा समाचार,छिन्दवाड़ा: पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के अंग्रेज़ी विभाग द्वारा साक्षात्कार में सफलता की तकनीक विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि बतौर बोलते हुए शासकीय महाविद्यालय चांद के प्राचार्य व प्रेरक वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा कि साक्षात्कार में धोखा देना, धौंस जमना, झांसा देना, बेवकूफ बनाना और बहाना बनाना कभी कारगर साबित नहीं होते हैं। साक्षात्कार सीखे ज्ञान का व्यावहारिक प्रस्तुतिकरण होता है। अल्पज्ञता को बहुज्ञता में बदलना ही साक्षात्कार की कुंजी होती है। साक्षात्कार कमजोरी छिपाने और काबिलियत दिखाने की परीक्षा होती है। साक्षात्कार की सफलता पूछे गए प्रश्नों के जवाब के प्रस्तुतीकरण पर निर्भर होती है। साक्षात्कार देने वाले को साक्षात्कार लेने वालों को संप्रेषण कौशल से उस दिशा में ले जाना चाहिए जिसका ज्ञान स्वयं को बहुत हो। अन्यथा की स्थिति में अल्पज्ञानी होने का खतरा उठाना पड़ सकता है। साक्षात्कार में जो सबसे पहला प्रश्न पूछा जाता है, उसके दिए गए जवाब में ही कुछ ऐसा होता है कि दूसरा प्रश्न पूछ लिया जाता है। अतः साक्षात्कार देने वाले को अपने दिए जाने वाले जवाबों के प्रति काफ़ी सावधान रहना चाहिए क्योंकि अगला प्रश्न उसी से जुड़ा है होता है। साक्षात्कार में सफलता दिमाक की उस क्षण में पूछे गए प्रश्न के जबाव में उपस्थिति की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। विभागाध्यक्ष प्रो. दीप्ति जैन ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि पूछे गए सारे प्रश्नों के जवाब सही देने पर सफलता मिल जाए या सभी प्रश्नों के जवाब गलत मिलने पर नियुक्ति न हो पाए या सारे गलत होने पर नियुक्ति न हो।
प्रो. जी. बी. डहेरिया ने कहा कि साक्षात्कार में सफलता विषय की गहनता को बारीकी से समझकर विनम्रता से जवाब देने में निहित होता है। प्रो. पी. एन. सनेसर ने कहा कि साक्षात्कार देने वाले को कोई ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए जो साक्षात्कार लेने वाले को नागवार गुजरे और उसका परिणाम नकारात्मक निकले। । प्रो.नवनीत भाटिया ने कहा कि साक्षात्कार देने वाले को आत्मीय भाव से संक्षेप में जवाब देने चाहिए, अपनी विद्वता का पांडित्य प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। प्रो . नीलिमा सोनी ने कहा कि अगर जिस प्रश्न का जवाब बिल्कुल नहीं बनता है तो साफ स्वीकार कर लेना चाहिए, जबरन घुमा फिराकर गलत जवाब देना हानिकर साबित होता है।

