संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा
,संतुष्टि प्रकृति की दौलत है, लिप्सा दानवीय प्रवृत्ति": दानसिंह ठाकुर
"अगर आदमी उड़ सकता तो आसमान को भी नष्ट कर देता:" दान सिंह ठाकुर
"जंगल जमीन के फेफड़े हैं, जो हवा को शुद्ध करते हैं': प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा मेरी माटी मेरा देश अभियान के अंतर्गत आयोजित कोलेज परिसर में वृक्षारोपण उपरांत समारोह में "भविष्य या तो हरा होगा या होगा ही नहीं" विषय पर व्याख्यान में मुख्य अतिथि बतौर बोलते हुए नगर परिषद चांद के अध्यक्ष दान सिंह ठाकुर ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि संतुष्टि प्रकृति की दौलत है, लिप्सा दानवीय प्रवृत्ति। अगर आदमी उड़ सकता तो आसमान को भी नष्ट कर देता।मानव की वे असंतुलित गतिविधियां जो पर्यावरण में खतरनाक परिवर्तन लाती हैं, उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। नौखेलाल श्रीवास ने कहा कि मानव विकास की अंधी दौड़ में जंगलों की अंधाधुंध कटाई, औद्योगीकरण के कारण कल कारखानों व बेइंतहा फ़सल उत्पादन के लिए रासायनिक खादों का अति प्रयोग हरी-भरी बसुंधरा को मानव के रहने के योग्य नहीं छोड़ता है। बनवारी माहोरे ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का अतिशय प्रयोग हवा, जल, ध्वनि, मृदा, प्रकाश व रेडियोएक्टिविटी की गुणवत्ता में अशुद्धता पैदा करता है। प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि जंगल जमीन के फेफड़े हैं, जो हवा को शुद्ध करते हैं।
प्रफुल्ल ताम्रकार ने कहा कि हमारा पर्यावरण हमारे रवैये व अपेक्षाओं का आयना होता है। हमें पर्यावरण आंदोलन के शहीदों को देश पर हुए कुर्बान शहीदों के समान दर्जा देना चाहिए। मोनू साहू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है जिसके ग्रीनहाउस दुश्प्रभावों से ओजोन परत को पहुंचे नुकसान से बढ़ते तापमान के कारण मानव अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। अमित चौधरी ने कहा कि पर्यावरण को खतरा अमीरों की अमीरों से व कंपनियों की मुनाफाखोरी से बहुत है। पिंटू चौहान ने कहा कि पक्षी पर्यावरण के संकेतक हैं, अगर वे खतरे में हैं तो हम भी नहीं बच सकेंगे। विजय सोलंकी ने कहा कि कहा कि सिर्फ संतुलित तापमान पर ही पृथ्वी स्वर्ग रह सकती है। प्रो. जी एल विश्वकर्मा ने कहा कि कहा कि पृथ्वी हमारी नहीं, हम पृथ्वी के हैं।विश्व का हर जीवधारी अपने हिस्से की शुद्ध ऑक्सीजन का अधिकारी है। प्रो.रक्षा उपश्याम ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ में हम कंक्रीट का जंगल खड़ा कर रहे हैं। सिर्फ सामान्य तापमान पर ही धरा पर जीवन सुरक्षित रह सकता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि प्रकृति के सभी रूप हमारे उत्कृष्ट शिक्षक हैं जो हमें किताबों से अधिक सिखा सकती हैं। सुनील पाटिल ने कहा कि ने कहा कि सिर्फ हमारे अहसास ही स्वार्थपूर्ण हैं जो हमें प्रकृति में दिव्यता के दर्शन नहीं करने देते हैं। कमलेश चौधरी ने कहा कि हर फूल प्रकृति में खिली आत्मा है।

