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संत श्री आशाराम गुरुकुल में "शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में भूमिका" पर व्याख्यान

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संत श्री आशाराम गुरुकुल में "शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में भूमिका" पर व्याख्यान 

"शिक्षक बंदिशों के बांध तोड़कर राष्ट्र का सृजन करता है": प्रो. सिंह

" शिक्षक सनातन संस्कृति की विरासत का संरक्षक होता है ": प्रो. सिंह

"शिक्षक छात्र को चेतना के सर्वोच्च शिखर पर आसीन करता है ": प्रो. सिंह 

"गुरू कभी भी सत्ता, यश व मुद्रा का मोह नहीं पालता है ": प्रो. सिंह

उग्र प्रभा समाचार छिंदवाड़ा: संत श्री आशारामजी गुरुकुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छिंदवाड़ा के प्रबंधन द्वारा अपने शिक्षकों के लिए आयोजित छःदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका विषय पर प्रमुख वक्ता बतौर बोलते हुए चांद कॉलेज के प्रेरक वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा कि शिक्षक अपने छात्र को चेतना के सर्वोच्च शिखर पर आसीन करके राष्ट्रनिर्माण की सामर्थ्य प्रदान करता है। शिक्षक सनातन संस्कृति की विरासत का संरक्षक होता है, उसके पास आत्मविश्वास की अमीरी होती है। शिक्षक दुष्चक्र में फंसी मानवता को बाहर निकालता है और वह अपने छात्र से बंदिशों के बांध तुड़वाता है। शिक्षक कभी भी सत्ता, यश और मुद्रा का मोह नहीं पालता है। सरलता सहजता और सौम्यता शिक्षक के स्वाभाविक गुण होते हैं। गुरु अपने छात्र को कायनाद से जोड़ता है और लम्हों को अपने अंदाज में बिताने का नजरिया देता है।

संस्था की डायरेक्टर दर्शना खट्टर ने कहा कि एक सही गुरु छात्रों में भय, शंका, अविश्वास और पाखंड की बेड़ियों से मुक्त करता है। गुरु शिष्य में चीजों को देखने का स्पष्ट नजरिया प्रदान करता है। गुरु के संपर्क में शिष्य अपनी पीढ़ियों के हालात बदल देता है। संस्था की प्राचार्य बागीशा जुनेजा ने कहा कि गुरु द्वारा दी गई आस्था से पर्वत पिघल जाते हैं और विश्वासों की ताकत से पर्वतों को हिला देता है। शिक्षक छात्रों को अपनी पारदर्शी विचार से भूमिका का निर्वहन करना सिखाता है। उपप्राचार्या प्रिया सिंह ने कहा कि शिक्षक वक्त के जख्मों को मरहम बनाना सिखाता है और ज्ञान प्राप्ति की ललक पैदा करता है। प्रशिक्षण में संस्था के सभी शिक्षकों ने पूरी लगन से सहभागिता दी।

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