Type Here to Get Search Results !

चांद कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर परिचर्चा आयोजित

0

योग आत्मा को समूचे ब्रह्मांड में विस्तार का जरिया है ": प्रो. सिंह

 योग हर क्षण में मौजूद रहने की योग्यता देता है:"प्रो. सिंह 

"योग विलासिता में अस्तित्व खोती निजता की प्राप्ति है:"अजय उपश्याम  योगाचार्य

उग्र प्रभा समाचार चांद, छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर " योग आत्मिक उत्कर्ष के आभामंडल से व्यक्तित्व में दिव्य सौंदर्य प्रदान करता है" विषय पर आयोजित परिचर्चा में योगाचार्य मुख्य अतिथि अजय उपश्याम ने कहा कि योग शांति की मुद्रा में स्थिर होकर दुनिया से मिलने का इल्म होता है।  भागम भाग जिंदगी में जरा ठहर जाने का नाम योग है। योग विलासी वस्तुओं के अंबार में अस्तित्व हीन होती निजता में आत्म साक्षात्कार के पथ पर अग्रसर करता है। प्राचार्य डॉ.अमर सिंह ने कहा कि योग समूचे ब्रह्मांड तक विस्तार करने का जरिया है। योग हर क्षण में मौजूद रहने की क्रिया है। दुनिया को देखने की दृष्टि का परिष्कार करता है, प्रकृति से जुड़े व्याधिमुक्त जीवन का आशीर्वाद है और वेदनारहित जीवन का राज है। योग आत्मिक चेतना को वैश्विक चेतना से मिलाने का रहस्य है, मन विचार की स्थिरता व शुद्धि का सद्भाव है और आध्यात्मिक उन्नति का उपकरण है।

प्रो.रजनी कवरेती ने कहा कि योग सरलता, सेहत और संतुष्टि का संयोग है, सांस, इंद्रिय, चिंतन व ध्यान पर नियंत्रण का संयम है और व्यस्तताओं को भाग दौड़ का नाम देने के बहाने से मुक्ति है। प्रो. जी.एल.विश्वकर्मा ने कहा कि अहम से बड़ा रोग, सेवा से बड़ा भोग और समर्पण से बड़ा कोई योग नहीं होता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि शालीनता के योग से जनित आभा मंडल से समूचा व्यक्तित्व दिव्य सौंदर्य का भागीदार बनता है। प्रो. विनोद शेंडे ने कहा कि चंचल मन से उपजी अस्थिर बुद्धि का स्थाई इलाज सिर्फ योग में ही समाहित है। प्रो.सुरेखा तेलकर ने कहा कि योग भविष्य की सांस है, आत्मा से स्थाई मुलाकात का जरिया है और आत्मोत्कर्ष से द्वंद्वों का समाधान है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि योग जीवन में परमात्मा का प्रवेश है। योग अनुशासन चंचल चित्त वृत्ति की अचूक दवा है।  योगिक नीरवता महाशांति का जरिया है।  

Post a Comment

0 Comments