Type Here to Get Search Results !

अमरवाड़ा कॉलेज में पुस्तक विमोचन और प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित

0

वृद्धों के प्रति श्रृद्धा नहीं तो श्राद्ध करने का क्या मतलब" प्रो. सिंह

बुढ़ापा मस्ती की हस्ती में जीने का स्वर्णिम काल होता है": प्रो. सिंह

वृद्ध संवाद,सम्मान व समझ के भूखे हैं, खैरात के नहीं ": प्रो. सिंह

उग्र प्रभा समाचार अमरवाड़ा: शासकीय स्नातक महाविद्यालय अमरवाड़ा के सभागृह आयोजित प्राचार्य डॉ. एस. सी. मेश्राम की अध्यक्षता में पुस्तक विमोचन और प्रतिभा सम्मान समारोह में प्रो.ज्योति सूर्यवंशी द्वारा संपादित वृद्ध विमर्श: परंपरा और आधुनिकता का द्वंद्व नामक पुस्तक के विमोचन समारोह में प्रमुख वक्ता बतौर बोलते हुए चांद कॉलेज के प्रेरक वक्ता डॉ. अमर सिंह ने वृद्धों के प्रति बढ़ती असम्मानजनक लापरवाही को रेखांकित करते हुए कहा कि जब वृद्धों के प्रति श्रृद्धा नहीं तो श्राद्ध का क्या मतलब होता है। बुजुर्गों को दी गई चीजें मय ब्याज के लौटती हैं। वृद्ध संवाद, सम्मान और समझ के भूखे हैं, धन दौलत  और खैरात के नहीं। बुढ़ापा मस्ती की हस्ती में जीने का स्वर्णिम काल होता है।

प्रो. विजय कलमधार ने कहा कि वृद्ध अनुभव के गौरव ग्रंथ होते हैं, जो उन्हें पढ़ पाए वह पढ़ ले। वृद्धजनों को किसी से शिकायत नहीं होनी चाहिए क्योंकि जो मस्त हैं,उन्हीं के पास समस्त है। प्रो.सुरेंद्र झारिया ने कहा कि वृद्ध अपनी विगत की कर्मकीर्ति की स्मृतियों में जिएं। वृद्ध कोई जीर्ण शीर्ण भवन नहीं हैं, जिसका कोई प्रयोजन न हो। प्रो. ज्योति सूर्यवंशी ने कहा कि वृद्धावस्था जीवन की शाम है, अंधेरी रात नहीं। वृद्ध अपनी उदासी, अवसाद व भय को रचनात्मक कार्यों में लगाकर दूर कर सकते हैं।  जर्जर नींव पर महल खड़ा नहीं होता है। वृद्धजन वृद्धमन नहीं होते हैं। उनके पास यादों के जीवन के सबबों का अद्भुत, अनमोल व अकूत खजाने होते हैं। जनभागीदारी अध्यक्ष प्रदीप साहू ने कहा कि भविष्य में हमारे साथ वही होना है जो आज हम अपने बुजुर्गों के साथ कर रहे हैं। विडंबना यह है कि जहां जहां लक्ष्मी है, वहीं वृद्धाश्रम खुले हैं। सदस्य देवेंद्र जैन ने कहा कि गरीब का बच्चा बच्चा नहीं होता, बल्कि पैदाइशी वृद्ध होता है। जिन्होंने हमें दिशा दी, हमने उनकी दुर्दशा कर दी। प्रो.आर. एन. झारिया ने कहा कि साहित्य हमें बेहतरी की ओर ले जाता है। बच्चों में कल्पनाशीलता बुजुगों की कहानियों से आती है। प्राचार्य श्री मेश्राम ने कहा कि जहां बुजुर्ग नहीं वह जगह नरक समान होती है। सांस्कृतिक विरासत बड़ों के कारण ही संरक्षित है। मशीनें हमारी संवेदनशीलता सोखती जा रही हैं। सम्मान समारोह में प्राचार्य डॉ. मेश्राम द्वारा अमरवाड़ा की माध्यमिक बोर्ड की परीक्षाओं में प्रदेश में उल्लेखनीय स्थान प्राप्त प्रतिभावान छात्राओं मौली नेमा, अनन्या जैन, प्रतिभा वर्मा और स्वाति वर्मा का प्राचार्य द्वारा प्रशस्ति पत्र, उपहार और सम्मान राशि देकर अभिनंदन किया गया।

More Interesting Posts

Post a Comment

0 Comments

Footer

चैनल सब्सक्राइब करे

📺 हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें


🔔 SUBSCRIBE NOW