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चांद कॉलेज में आयोजित हुई विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर परिचर्चा

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व्यसनों में बर्बाद मनुष्य रिश्तों के पतन का भागी बनता है": प्रो. सिं

 व्यसन व्यक्ति को चरित्रहीनता के गर्त में धकेल देता है ": प्रो. सिंह 

 एक व्यक्ति के व्यसन का खामियाजा पूरा परिवार भुगतता है ": प्रो. सिंह

उग्र प्रभा समाचार चांद: शासकीय महाविद्यालय चांद द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर रासेयो द्वारा "हमें भोजन की जरूरत है, तंबाकू की नहीं" विषय पर आयोजित परिचर्चा में प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि व्यसनों पर किया जाने वाला खर्च अगर स्वास्थ्य हेतु पोषक तत्वों पर खर्च किया जाए तो दुनिया का स्वास्थ्य सुधर जाएगा। व्यसनों में बर्बाद मनुष्य रिश्तों के पतन का भागी बनता है। व्यसन लाज, शर्म, हया और लिहाज सब छीन लेता है। व्यसन व्यक्ति को चरित्रहीनता के गर्त में धकेल देता है। एक व्यक्ति के व्यसन का खामियाजा पूरा परिवार भुगतता है।

प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि भोजन हमारी आवश्यकता है, तंबाकू नकारात्मक लत जो व्यक्ति को कहीं का नहीं छोड़ती है। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि तंबाकू निषेध पदार्थ है, फिर भी इसका इस्तेमाल कोई नासमझ ही कर सकता है। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि जब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है तो वाह्य दुनिया में व्यसनों का सहारा लेता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि व्यसन अवसाद का तात्कालिक किंतु क्षणिक समाधान है, लौटना तो हमें अपनी जड़ों की ओर ही होगा ही। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि जब व्यक्ति का विवेक मर जाता है तो वह तर्कहीन होकर सनक में काम करने लगता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि तंबाकू जैसे व्यसनों से बुद्धि अपनी रचनात्मकता खो देती है। परिचर्चा में सभी छात्रों की गरिमामई सहभागिता सुनिश्चित हुई।

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