" किताबें वफादार दोस्त की तरह काबिल बनाती हैं": प्रो. सिंह
"पुस्तकें विवेक वृद्धि हेतु ज्ञान प्रकाश की जीवंत प्रतिमाएं होती हैं ": प्रो. सिंह
"किताबें कल्पना को प्रज्जवलित करने का बेहतरीन तरीका हैं": प्रो. सिंह
उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: चांद कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा विश्व पुस्तक दिवस पर परिचर्चा में बोलते हुए प्रो. अमर सिंह ने कहा कि पुस्तकें विवेक वृद्धि हेतु ज्ञान प्रकाश की जीवंत देव प्रतिमाएं होती हैं जिनसे तत्काल जीवन अनुभव और उल्लास मिलते हैं। कल्पना को प्रज्जवलित करने का अच्छी किताबों को पढ़ने से अच्छा और कोई उपाय नहीं है। पुस्तकें सभ्यता की वाहक होती हैं जो संचित ज्ञान की जलते दीपक की तरह असर करती हैं। बिना पुस्तकों के घर बिना खिड़की के कमरे के समान होता है। पुस्तकें विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण करती हैं। अंतःकरण को उज्जवल करने में किताबें एक वफादार दोस्त की तरह काम करती हैं। पुस्तकें धोखा नहीं देती हैं बल्कि काबिल बनाकर छोड़ती हैं।प्राचार्य प्रो. डी. के गुप्ता ने कहा कि किताबें जीवन में जीवंतता प्रदान करती हैं, यह किसी भी व्यक्ति की अमूल्य निधि होती है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि अध्ययन के पल जन्नत से चुराए पल होते हैं। अध्ययन करते हुए हम बिना पांव चलाए यात्रा पर निकल जाते हैं। प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि अच्छी किताब पढ़ना चमत्कारिक औषध की तरह असर करती है। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि किताबें बेहतरीन साहसिक उद्यम होती हैं। पुस्तक बौद्घिक संपदा की धरोहर होती है जिसे अगली पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाता है। अध्ययन से अर्जित पराक्रम से सबसे स्वादिष्ट आजादी मिलती है। प्रो. विनोद शेंडे ने कहा कि अच्छी किताब का कभी कोई अंत नहीं होता है। किताबों से पढ़ा जा सकता है किंतु चिंतन करना सीखना स्वयं को ही है। प्रो.सुरेखा तेलकर ने कहा कि शिक्षक के अनुभव से बढ़कर कोई पुस्तक नहीं होती है। प्रो.रक्षा उपश्याम ने कहा कि पुस्तक आराध्य होती है जो शाश्वत मूल्यों की दिशा में ले जाती है। संतोष अमोडिया ने कहा कि पुस्तकें निर्बल का बल होती हैं जिन पर किसी का एकाधिकार नहीं होता है। परिचर्चा के अंत में सहभागी छात्रों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

