"आचरण की सभ्यता का व्यवहार ही व्यक्तित्व निर्माण है ": प्रो वीरपाल सिंह
"वैचारिक उत्कृष्टता व्यक्ति को विराट स्वरूप से परिचय कराती है": अवधेश तिवारी आकाशवाणी उद्घोषक
"भाषा सतत कामनाओं में सनी सुघड़ विचारों की प्रौढ़ता है": प्रो. लक्ष्मीचंद
"अमर्यादित भाषा शालीन व्यक्तित्व को निर्वस्त्र कर देती है": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार छिंदवाड़ा: पी जी कॉलेज छिंदवाड़ा में" भाषा विचार और व्यक्तित्व" पर आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के प्रो. वीरपाल सिंह ने कहा कि विचार भाषा से पूर्वगामी है, और व्यक्तित्व आचरण की सभ्यता के व्यवहार से उत्पन्न प्रतिफल। जीवन विवेक से न चल सनक से चलेगा तो व्यक्तित्व में विकारों, विकृतियों और दुर्भावनाओं का आना लाजिमी है। उपसभापति पूर्व अकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भाषा में पारंगत व्यक्ति का प्रज्ञानंद में भावविभोर होकर उत्तंग शिखर पर पहुंचना परमानंद की अनुभूति कराता है। भाषाई विचारों की उत्कृष्टता पात्रता विकसित कर व्यक्ति को अपने विराट स्वरूप से परिचय कराती है। समारोह के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. पी. आर. चंदेलकर ने भाषा के प्रतीकों से जीवन के नैतिक सबब सीखकर उदात्त चरित्र निर्माण पर बल दिया। सभापति प्रो. लक्ष्मीचंद ने भाषा को कामनाओं की निरंतरता का आचरण बताते हुए सुघड़ विचारों की प्रौढ़ता को व्यक्तित्व निरूपित किया। प्रेरक वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा शालीनता भरे लफ्ज़ भाषा के परिधान होते हैं, और अमर्यादित विचार व्यक्तित्व का निर्वस्त्र होना होता है।केवलारी के प्रो. राजेश ठाकुर ने भाषा को ध्वनि से निर्मित लोक संस्कृति की अभिव्यक्ति कहा जबकि प्रो. शशिकांत चंदेला ने अनुशासन से भाषाई कौशल बढ़ाते हुए अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने की बात रखी। राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता समाजसेवी विनोद तिवारी ने विवेकानन्द और अब्दुल कलाम के जीवनोपयोगी शिक्षाओं से चरित्र निर्माण पर प्रकाश डाला। सिवनी के प्रो. सत्येंद्र शेंडे ने व्यक्तित्व को मनोदैहिक अवस्थाओं की संवेदनशील गत्यात्मिक ज्ञान परंपरा बताया। जबलपुर के प्रो. बलीराम अहिरवार ने लोकभाषा में संप्रेषण कौशल की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बोलियों से भाषा को सुदृढ़ करने पर बल दिया। शोध संगोष्ठी संयोजक प्रो. लक्ष्मीकांत चंदेला ने संगोष्ठी के दौरान आभार प्रदर्शन करते हुए अपनी "भाषा: विचार और व्यक्तित्व" शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक को नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भाषा और व्यक्तित्व विकास विषय को पढ़ने वाले पाठ्यक्रम के लिए बहुउपयोगी बताया। अन्य वक्ताओं में प्रो.मीनाक्षी कोरी ने ज्ञानमंथन से व्यक्तित्व को गढ़ने, प्रो. सागर भानोत्रा ने वाणी के अमृत से चरित्र को निखारने और प्रो. प्रतिभा पहाड़े ने भाषा से चेतना वृद्धि पर बल दिया।
