प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बड़ा खेल! ठेकेदारों की जगह पेटी कॉन्ट्रैक्टरों से निर्माण, अमरवाड़ा के ब्रिज और सड़कों पर उठे गंभीर सवाल
छिंदवाड़ा/अमरवाड़ा/उग्र प्रभा
(नीलेश डेहरिया प्रधान संपादक )
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को बेहतर सड़कों से जोड़ना था, लेकिन अब यह योजना भ्रष्टाचार और लापरवाही की मिसाल बनती जा रही है। जिले के कई इलाकों में अनुबंधित ठेकेदार खुद गायब हैं, और काम पेटी कॉन्ट्रैक्टरों के भरोसे चल रहा है।
🔹 अमरवाड़ा में करोड़ों के ब्रिज पर पेटी कॉन्ट्रैक्टरों का कब्जा
अमरवाड़ा विकासखंड के ग्राम पौनार और घुघरला खुर्द में करोड़ों की लागत से ब्रिज निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस कार्य का अनुबंध शिवपुरी जिले के ठेकेदार पुनीत श्रीवास्तव की “स्वामी कृपा कंपनी” के साथ हुआ है। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि मुख्य ठेकेदार कभी साइट पर नहीं पहुंचते, और पूरा निर्माण कार्य छोटे-छोटे पेटी कॉन्ट्रैक्टरों के माध्यम से किया जा रहा है।जो लोग पहले छोटी पुलिया बनाते थे, अब वही लोग ब्रिज निर्माण जैसे संवेदनशील कार्य कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि गुणवत्ता मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है, और विभागीय अधिकारी केवल फाइलों में “गुणवत्ता” दिखा रहे हैं।
🔹 थांवड़ी कला से घुघरला खुर्द तक 22 किमी सड़क निर्माण अटका
इन्हीं ब्रिज निर्माण कार्यों के साथ थांवड़ी कला से घुघरला खुर्द तक 22 किलोमीटर सड़क निर्माण का टेंडर वर्ष 2021 में निकाला गया था। इस कार्य का अनुबंध रायसेन की निर्माण कंपनी “VRS” के ठेकेदार वीरेन्द्र सिंह ठाकुर के साथ हुआ।पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी यह सड़क आज तक पूरा नहीं बन पाया। विभाग ने केवल खानापूर्ति के लिए टर्मिनेशन की कार्रवाई की और फिर बाद में रेवोक कर ठेकेदार को बार-बार मौका दिया, लेकिन काम आज तक अधूरा है।
पूर्व कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने भी इस गंभीर लापरवाही को देखते हुए स्वयं स्थल निरीक्षण किया था, और निर्माण कार्य के लिए समय सीमा निर्धारित की थी, लेकिन उसके बाद भी नतीजा “शून्य” रहा।अब हालात यह हैं कि जो लोग पुलिया बनाते थे, वही इस सड़क को बनाने के लिए नापतौल कर रहे हैं। विभागीय मिलीभगत के चलते घाट जमा कर काम करने की तैयारी की जा रही है।
🔹 जनता का सवाल — क्या सरकार ऐसे संसाधनहीन ठेकेदारों पर निर्भर है?गांव के लोगों का कहना है कि यदि विभाग के अधिकारी, प्रबंधक, सहायक प्रबंधक और उपयंत्री वास्तव में निगरानी में हैं, तो फिर सड़क और ब्रिज की यह दुर्दशा कैसे?क्या मध्यप्रदेश सरकार अब ऐसे अनुभवहीन और संसाधनहीन ठेकेदारों पर निर्भर है, जो न काम पूरा कर पाते हैं और न गुणवत्ता दे पाते हैं?
उग्र प्रभा समाचार हमेशा इस सड़क पर बरती जा रही अनियमितताके खिलाफ आवाज उठाता रहा
सडक स्वीकृति के पुर्व में सड़क निर्माण स्वीकृति सें लेकर सडक निर्माण कार्य में बरती गई अनियमितता घटिया निर्माण समयावधि में निर्माण कार्य पुर्ण न करने जैसे गंभीर विषयो को लेकर उग्र प्रभा समाचार सदैव आवाज आवाज उठाता है।तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह दोबारा भी टीएल बैठक में बार-बार इस सड़क की समीक्षा कर संबंधित महाप्रबंधक सहायक प्रबंधक को नोटिस थमा कर समय सीमा में निर्माण क पूर्ण करने का दबाव बनाया गया लेकिन निर्माण कार्य आज तक 5 वर्षों में पूर्ण नहीं हो पाया स्वयं कलेक्टर श्री सिंह ने सड़क की निरीक्षण करने दलबल के साथ पहुंचे थे देखकर काफी नाराजगी व्यक्त करने के बाद समय अवधि दिया गया लेकिन निर्माण एजेंसी के द्वारा निर्माण कार्य पूर्ण नहीं किया गया उसके बाद निर्माण एजेंसी को टर्मिनेशन किया गया।
अनुबंध निर्माण एंजेसी के टर्मिनेशन के बाद भी कुछ पेटी कांट्रेक्टर निर्माण कार्य में लगे हुए हैं
जब इस विषय में महाप्रबंधक कविता पटवा से उग्र प्रभा समाचार के संपादक ने फोन पर बात की और समस्या को बताया गया अनुबंध निर्माण एजेंसी टर्मिनेशन फिर कार्य कौन कर रहा है इस विषय में महाप्रबंधक ने कहां सीजीएम से बात करिए इस विषय में मुझे जानकारी नहीं है जब सीजीएम जबलपुर को फोन मिलाया गया तो फोन रिसीव नहीं किया गया इस प्रकार से निर्माण कार्य में धांधली चल रही है निर्माण स्थल पर पहुंचकर जब कर्मचारियों से पूछा गया निर्माण कर कौन कर रहा है किसके अनुबंध में कार्य हो रहा है उनके द्वारा बताया गया वीरेंद्र सिंह ठाकुर ठेकेदार के माध्यम से काम कराया जा रहा है जब उनको कहां गया उनका अनुबंध टर्मिनेट कर दिया गया है इस स्थिति में कैसे काम चल रहा है कोई जवाब नहीं मिला। अधिकारी से लेकर निर्माण कार्य करने वाले सही जानकारी नहीं दे पा रहे हैं.
जनता की मांग है कि —
👉 सभी अनुबंधित कार्यों की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
👉 पेटी कॉन्ट्रैक्टरों और गैर-अनुभवी ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई हो।
👉 विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए, जो बार-बार मौका देकर जनता के धन और विश्वास दोनों से खिलवाड़ कर रहे हैं।अगर यही हाल रहा तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना कागजों पर तो चलती रहेगी, लेकिन जमीन पर सड़कें और पुल गुणवत्ता से नहीं, लापरवाही से बनेंगे।


